नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 70 बड़े संकटग्रस्त खातों की समाधान योजना को अंतिम रूप देने के लिये निर्धारित समयसीमा पूरी होने से पहले बैंक दिन रात जोर-अजमाइश में जुटे हैं ताकि कर्ज नहीं चुका पर रही इन कंपनियों खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई शुरू करने की नौबत यथा संभव टाली जा सके. इन कंपनियों में से अधिकांश बिजली उत्पादक कंपनियां हैं. आरबीआई ने इन 70 ऋण खातों की समाधान योजना को अंतिम रूप देने के लिये बैंकों को 180 दिन का समय दिया था जो 27 अगस्त को समाप्त हो रहा है. इन खातों में बैंकों का कुल 3800 अरब रुपये का कर्ज फंसा है.
बैंक इस तरह के खातों का समाधान एनसीएलटी के बाहर करना चाहते हैं क्योंकि दिवालिया कानून के तहत समाधान के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में समाधान के लिए जाने पर उन्हें अंतत: इस राशि के एक बड़े हिस्से के साथ समझौता करना पड़ सकता है. आलोक इंडस्ट्रीज के मामले में ऐसा ही देखने को मिला था. आरबीआई ने सर्कुलर में बैंकों से एक दिन की चूक वाली विद्युत परियोजनाओं को भी फंसे कर्ज के तौर पर पहचान करने और 180 दिन के अंदर अपनी समाधान कार्यवाही को पूरा करने को कहा था. यह सर्कुलर एक मार्च से प्रभावी है और 180 दिन की समय-सीमा 27 अगस्त को पूरी हो रही है.
आरबीआई ने कहा कि यदि सोमवार तक इन खातों के संबंध में कोई भी समाधान योजना नहीं पहुंचती हैं तो इन खातों को दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के लिये एनसीएलटी के पास भेज दिया जायेगा. इनमें बिजली क्षेत्र के साथ ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) और दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए कर्ज भी शामिल हैं.
बैंक इन खाताओं के लिये समाधान योजना पेश करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इन्हें एनसीएलटी में जाने से रोका जा सके क्योंकि एनसीएलटी में मामला जाने पर समाधान में नए खरीददारों के साथ समझौते में बकाया कर्ज का एक बड़ा हिस्सा छोड़ना पड़ सकता है. बैंकरों ने कहा कि कुछ संकटग्रस्त खातों के लिये कुछ बैंक समाधान योजनाओं को अंतिम रूप दे चुके हैं.
एक सरकारी बैंक के कार्यकारी निदेशक ने नाम नहीं बताते हुये कहा, “कुछ बैंक कुछ मामलों में समाधान योजनाओं को मंजूरी दे चुके हैं और अन्य मामलों में योजना को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है.” हालांकि, बैंकरों ने कहा कि कितने खातों को एनसीएलटी के पास भेजा जाएगा, इसकी जानकारी सोमवार शाम तक ही हो सकेगी. कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि बैंक कुल 3500 अरब रुपये के करीब 60 एनपीए खातों को दिवालिया कार्यवाही के लिए भेज सकते हैं.
बैंकों ने उम्मीद जताई कि आरबीआई 27 सितंबर को समयसीमा खत्म होने के बाद इन खातों को लेकर कुछ उदारता दिखा जा सकता है क्योंकि उसे पता है कि कुछ मामलों में समाधान प्रक्रिया चल रही है. एक सरकारी बैंक के प्रमुख ने नाम बताते हुये कहा कि आरबीाई समयसीमा को और नहीं बढ़ायेगा और सभी खातों को एनसीएलटी के पास भेजने के लिये कहा सकता है. (इनपुट-भाषा)