तीसरी जी20 संस्कृति समूह (सीडब्ल्यूजी) बैठक आज से कर्नाटक के हम्पी में शुरू हुई। आज हम्पी में मीडिया को जानकारी देते हुए, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय सचिव, श्री गोविंद मोहन ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत तीसरी संस्कृति कार्य समूह की बैठक 9 से 12 जुलाई तक कर्नाटक के हम्पी में आयोजित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि सीडब्ल्यूजी की पहली दो बैठकें खजुराहो और भुवनेश्वर में हुई थीं। हम्पी में तीसरी बैठक में जी20 सदस्य देशों, आमंत्रित देशों और सात बहुपक्षीय संगठनों से लगभग 50 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि चार विशेषज्ञ-संचालित वैश्विक विषयगत वेबिनार आयोजित किए गए हैं और ये सफल रहे हैं क्योंकि सभी 29 देशों और सात बहुपक्षीय संगठनों ने वेबिनार में भाग लिया है।
श्री गोविंद मोहन ने कहा कि तीसरी सीडब्ल्यूजी बैठक अब सीडब्ल्यूजी की 4 प्राथमिकताओं से संबंधित साझा की गई सिफारिशों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर आम सहमति हासिल करने का प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि संस्कृति कार्य समूह की बैठकें 4 मुख्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित हैं जिन्हें भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान कल्चर ट्रैक के हिस्से के रूप में रेखांकित किया गया है। 4 प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं: सांस्कृतिक संपत्ति का संरक्षण और पुनर्स्थापन; सतत भविष्य के लिए जीवंत विरासत का दोहन; सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना; और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना।
श्री गोविंद मोहन ने यह भी कहा कि अगस्त में वाराणसी में होने वाली संस्कृति मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए सदस्य देशों के बीच संयुक्त बयान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
‘सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा और पुनर्स्थापन’ विषय पर अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 1970 का यूनेस्को सम्मेलन हस्ताक्षरकर्ता पक्षों को अन्य देशों से संबंधित उन कलाकृतियों को स्वेच्छा से वापस करने का आदेश देता है जो औपनिवेशिक लूट के कारण या उपनिवेशवाद के बाद हुए दुरूपयोग जैसे तस्करी और चोरी आदि के कारण वहां ले जाये गये हैं। उन्होंने कहा कि बैठकों में यह प्रयास किया जा रहा है कि सभी जी20 देश इस सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता बनें जिससे भारत को लाभ होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि द्विपक्षीय स्तर पर भी भारत देशों के साथ समझौते करने की कोशिश कर रहा है और यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा के संयुक्त वक्तव्य में दिखाई दे रहा है। भारत और अमेरिका के बीच जिस सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर बातचीत हो रही है, वह अमेरिकी अधिकारियों को तस्करी के सामान और कलाकृतियों को रोकने और उन्हें शीघ्रता से वापस करने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अगले तीन से छह महीनों में अमेरिका से लगभग 150 कलाकृतियां वापस आने की उम्मीद है।
दूसरे विषय ‘सतत भविष्य के लिए जीवित विरासत का दोहन’ पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस विषय का उद्देश्य स्वदेशी लोगों के अधिकारों में सुधार करना और पारंपरिक प्रथाओं के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा उपाय करना है। विषय का उद्देश्य चर्चा करना है ताकि अभ्यास करने वाले समुदायों को जीवित विरासत के किसी भी प्रकार के व्यावसायीकरण से लाभ मिले।
तीसरे विषय ‘सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा’ पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक स्मारकों, सांस्कृतिक स्थानों पर किस तरह के सांस्कृतिक पदचिह्न बन रहे हैं, यह समझने के लिए सिस्टम बनाने और इसके माध्यम से एक रचनात्मक अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दिया गया है।
चौथे विषय ‘संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना’ पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि संपूर्ण सांस्कृतिक दुनिया ऑगमेंटेड रिएलिटी, वर्चुअल रिएलिटी और इमर्सिव्स के माध्यम से एक डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रही है। अंतर-संचालनीयता की अनुमति देने के लिए सिस्टम बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि डिजिटल उत्पादों को सीमाओं के पार साझा किया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि हम्पी में तीसरी जी20 सीडब्ल्यूजी बैठक के हिस्से के रूप में “वुवेन नैरेटिव्स” नामक एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी का विषय सीडब्ल्यूजी द्वारा उल्लिखित तीसरी प्राथमिकता – ‘सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना’ पर केंद्रित है। यह प्रदर्शनी निर्माण, व्यापार और उपयोग की उनके विशिष्ट ईकोसिस्टम पर ध्यान आकर्षित करके, भारत के रचनात्मक और भौगोलिक संदर्भों में हाथ से बुनाई की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करती है। प्रदर्शित प्रदर्शनों की परिकल्पना और निर्माण उन लोगों द्वारा किया गया है जो कारीगरों, शिल्पकारों, कलाकारों और डिजाइनरों के रूप में काम करते हैं, जो हाथ से बुनाई में विशेषज्ञता और कौशल की एक श्रृंखला का उपयोग करते हैं। प्रदर्शनी 14 जुलाई से 14 अगस्त तक जनता के लिए खुली रहेगी।
संयुक्त सचिव सुश्री लिली पांडेया ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि तीसरी संस्कृति कार्य समूह की बैठक में सभी 20 देशों के साथ-साथ अतिथि देशों के 9 संवाद भागीदार और सात अंतर्राष्ट्रीय संगठन भाग ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस बैठक का उद्देश्य संस्कृति मंत्रिस्तरीय घोषणा की भाषा और आम सहमति पर पहुंचना है।
साथ ही उन्होंने बताया कि इस वर्ष 26 अगस्त को वाराणसी में संस्कृति मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान वैश्विक विषयगत वेबिनार की एक रिपोर्ट लॉन्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछली बैठक से कार्रवाई उन्मुख ठोस परिणामों के साथ एक मजबूत घोषणा की उम्मीद है।
लम्बानी कढ़ाई कार्य प्रदर्शनी पर बोलते हुए, सुश्री पांडेया ने कहा कि सीडब्ल्यूजी का लक्ष्य लम्बानी कढ़ाई पैच का सबसे बड़ा प्रदर्शन करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में प्रवेश करना है। प्रदर्शनी का विषय ‘संस्कृति सभी को एकजुट करती है’ है, जिसका उद्घाटन संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी करेंगे। इस प्रयास में लंबानी समुदाय की 450 से अधिक महिला कारीगर शामिल होंगी, जो संदुर कुशला कला केंद्र से निकटता से जुड़ी हुई हैं, जो उनके द्वारा बनाए गए लगभग 1300 लंबानी कढ़ाई पैच कार्यों को प्रदर्शित करेंगी।
उन्होंने यह भी बताया कि सांस्कृतिक अनुभवों की एक श्रृंखला को सावधानीपूर्वक चुना गया है और प्रतिनिधियों को उनकी यात्रा के दौरान देखने के लिए व्यवस्थित किया गया है। इनमें विजया विट्टला मंदिर, रॉयल एनक्लोजर और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हम्पी समूह के स्मारकों के येदुरु बसवन्ना परिसर जैसे विरासत स्थलों की यात्रा शामिल है।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि तुंगभद्रा नदी में प्रसिद्ध कोराकल सवारी का भी अनुभव करेंगे। प्रतिनिधियों के भाग लेने और उन्हें संजोने के लिए चमड़े की कठपुतली, गंजीफा कलाकृति, बिदरी कलाकृति और किन्हाल शिल्प जैसी ‘खुद से करें’ (डीआईवाई) गतिविधियों की व्यवस्था की गई है। प्रतिनिधियों के समक्ष बांस सिम्फनी बैंड और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी प्रस्तुत की जाएंगी।
संस्कृति कार्य समूह गहन चर्चा की एक समावेशी प्रक्रिया के माध्यम से जी20 सदस्यों, अतिथि देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ काम कर रहा है। इन विचार-विमर्शों का उद्देश्य सहयोगात्मक कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पुष्टि करना और सतत विकास के लिए ठोस सिफारिशों और सर्वोत्तम प्रथाओं को और विकसित करना है।