नई दिल्ली: जल्द ही दिल्ली के लोगों को अपनी कॉलोनी से मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने के लिए वातानुकूलित मेट्रो फीडर बसें मिलेगी। दिल्ली मेट्रो ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। पहले चरण में 427 वातानुकूलित लो फ्लोर फीडर बसें उतारने के लिए डीएमआरसी ने टेंडर जारी कर दिया है।
डीएमआरसी अधिकारियों की माने तो अगर सबकुछ ठीक रहा तो क्लस्टर स्कीम के तहत इसी वर्ष के अंत तक फीडर बसें आने लगेंगी। वातानुकूलित मेट्रो फीडर बसें चलाने के लिए राजधानी को पांच जोन साउथ, वेस्ट, सेंट्रल, नॉर्थ व ईस्ट में बांटा गया है। इन पांचों जोन में फिलहाल कुल 52 मार्ग होंगे जो अलग-अलग मेट्रो स्टेशन को जोड़ेंगे। इसमें साउथ व वेस्ट जोन में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक फीडर बसें उतारी जाएंगी जिनकी संख्या 198 है। यह पहला मौका होगा जब दिल्ली में इलेक्ट्रिक सार्वजनिक वाहन सड़कों पर उतरेंगे। बाकी 229 फीडर बसें सीएनजी चालित होंगी। मेट्रो ने सभी जोन के लिए अलग-अलग टेंडर जारी किया है।
रखरखाव की जिम्मेदारी कंपनी की होगी: मेट्रो इस बार क्लस्टर स्कीम के तहत फीडर बसें सड़कों पर उतार रही है। इसके तहत मेट्रो फीडर बस उपलब्ध कराने वाली कंपनी को प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान करेगी। बसों के रखरखाव, परिचालन की जिम्मेदारी उसी कंपनी की होगी। डीएमआरसी सिर्फ बसों के लिए डिपो उपलब्ध कराएगी। सभी जोन के लिए अलग-अलग डिपो मेट्रो स्टेशन के पास ही बनाएं जाएंगे, जिससे इनका परिचालन आसानी से हो सके।
ये सहूलियत भी होगी
फीडर बसों में खड़े होकर यात्रा करने पर रोक होगी। बस में 16 से 22 सीटें होंगी और उतने ही यात्री बिठाने होंगे। बसों का अधिकतम रूट 5 से 6 किलोमीटर लंबा होगा। इससे बसों की फ्रीक्वेंसी बेहतर होगी और यात्रियों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
स्मार्ट कार्ड से खुदकट जाएगा किराया
वातानुकूलित मेट्रो फीडर बस में कंडक्टर नहीं होगा। किराये का भुगतान आप सिर्फ मेट्रो स्मार्ट कार्ड से कर पाएंगे। मेट्रो का कहना है कि इससे हम सुनिश्चित कर पाएंगे की मेट्रो यात्री ही फीडर बस में सफर कर पाएं। मेट्रो यात्री जैसे प्रवेश करेगा तो उस रूट का अधिकतम किराया उसके कार्ड से कट जाएगा। अगर वह कम दूरी पर अपनी यात्रा खत्म करता है तो बस से बाहर निकलने के दौरान वैलिडेटर मशीन पर कार्ड दिखाने के बाद शेष राशि कार्ड में लौट आएगी।