इलाहाबाद: हाई कोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को सही माना है। कोर्ट ने नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की गाइड लाईन की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
चीफ जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड और जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने इस मामले को लेकर दाखिल छात्रों की याचिका खारिज कर दी। नीरज कुमार राम और कई अन्य छात्रों ने एक याचिका दायर कर एनसीटीई की 19 जुलाई 2011 को जारी अधिसूचना की वैधानिकता को चुनौती दी थी। याचिका में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए सामान्य श्रेणी अभ्यर्थियों को स्नातक में 45 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता के प्रावधान को गलत बताया गया। अभ्यर्थियों का तर्क था कि, बेसिक शिक्षा टीचर सेवा नियमावली-1981 के तहत सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए केवल स्नातक होने की अनिवार्यता है, जबकि इस कानून के विपरीत एनसीटीई ने अपनी अधिसूचना में 45 व 40 प्रतिशत की अनिवार्यता कर असंवैधानिक अधिसूचना जारी की है।
खण्डपीठ ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि एनसीटीई विशेषज्ञ संस्था है। उसे अध्यापकों की भर्ती के मानक तय करने का पूर्ण अधिकार है। ऐसे में एनसीटीई की अधिसूचना में अंकों की अनिवार्यता असंवैधानिक नहीं हो सकती। कोर्ट के इस आदेश के बाद अध्यापकों की भर्ती में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता लागू रहने का रास्ता साफ हो गया है। फिलहाल प्रदेश में 72 हजार 825 सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रकिया चल रही है।
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