स्टील उद्योग संकट के समय में राष्ट्र की सेवा में एकजुट है। 10 मई को स्टील संयंत्रों द्वारा कुल 4686 मीट्रिक टन जीवनरक्षक तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति की गई। इसमें सेल द्वारा 1193 मिट्रिक टन, आरआईएनएल द्वारा 180 मिट्रिक टन, टाटा समूह द्वारा 1425 मिट्रिक टन, जेएसडबल्यू द्वारा 1300 मिट्रिक टन और शेष ऑक्सीजन की आपूर्ति सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की अन्य इस्पात कंपनियों द्वारा की गई है। देश में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की कुल उत्पादन प्रतिदिन लगभग 9500 मीट्रिक टन हो गई है, जो कि स्थापित क्षमता का लगभग 130 फीसदी इस्तेमाल है। एलएमओ के कुल उत्पादन में इस्पात संयंत्र लगभग आधा योगदान दे रहे हैं।
स्टील संयंत्र एलएमओ की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए अहम कदम उठाए हैं। जिसके तहत नाइट्रोजन और आर्गन गैस के उत्पादन में कमी और ज्यादातर संयंत्रों में केवल एलएमओ का उत्पादन शामिल है। स्टील कंपनियों के लिए आम तौर पर अपने भंडारण टैंकों में एलएमओ का 3.5 दिनों का सुरक्षा स्टॉक रखने की आवश्यक होती है। जो वाष्पीकृत हो जाता है और यदि किसी ऑक्सीजन संयंत्र में कुछ समस्या आती है तो उनका उपयोग किया जाता है। इस्पात मंत्रालय द्वारा इस्पात उत्पादकों के साथ निरंतर संपर्क के माध्यम से, सुरक्षा स्टॉक को आधे दिनों तक कम कर दिया गया है जिससे एलएमओ की आपूर्ति में काफी बढ़ोतरी हुई ।
केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले सोमवार को इस्पात मंत्रालय और इसके सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। जहां उन्होंने तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति और इस्पात संयंत्रों द्वारा स्वास्थ्य सेवा को बेहतर करने की दिशा में उठाए गए प्रयासों की समीक्षा की।
स्टील संयंत्रों द्वारा 8,100 बिस्तरों की (एमएमएनएस – हजीरा, जेएसडब्ल्यू – डोल्वी एवं विजयनगर, जिंदल-हिसार, एचजेडएल – उदयपुर, सेल – राउरकेला, भिलाई, बोकारो, दुर्गापुर, बर्नपुर, आरआईएनएल – वाइजैग, टाटा – कलिंगनगर, जेएसआर, अंगुल) क्षमता वाले अस्पताल भी स्थापित किए जा रहे हैं। यह अस्पताल संयंत्रों के आस-पास के क्षेत्रों में गैसीय ऑक्सीजन की क्षमता के साथ तैयार किए जा रहे हैं।
श्री प्रधान ने तेल, गैस और इस्पात सार्वजनिक उपक्रमों से भी अपील की है कि वे सभी संबंधित पक्षों के पूर्ण टीकाकरण की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि इससे कर्मचारियों और संबंधित पक्षों का मनोबल बढ़ेगा। इस कदम से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को और मजबूती मिलने के साथ दुनिया में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को गति देने में भी मदद मिलेगी।