नई दिल्ली: ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका और भारत को मिलाकर बने ब्रिक्स एंटी-ड्रग कार्यकारी समूह के चौथे सत्र का इस सप्ताह आयोजन किया गया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक श्री राकेश अस्थाना ने किया। इस प्रतिनिधिमंडल में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की उप महानिदेशक (ऑपरेशन्स) श्रीमती बी. राधिका, भारतीय दूतावास मास्को में प्रथम सचिव (व्यापार) सुश्री वृंदबा गोहिल, विदेश मंत्रालय में अवर सचिव (बहुपक्षीय आर्थिक संबंध) डॉ. वैभव तांडले, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के उप निदेशक (ऑपरेशन्स) श्री के. पी. एस. मल्होत्रा शामिल थे। इस साल का सत्र 12 अगस्त, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता रूस ने की थी।
ब्रिक्स देशों में नशीली दवा की स्थिति, नारकोटिक ट्रग्स, मादक पदार्थों की अवैध तस्करी में अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रवृत्तियों के साथ पैदा हो गई स्थिति के बारे में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय आंतरिक और बाह्य कारकों के प्रभाव के बारे में सम्मेलन के दौरान उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। विचार-विमर्श के दौरान उभरे सामान्य बिन्दुओं में सदस्य राष्ट्रों के बीच वास्तविक समय जानकारी को साझा करना और समुद्री मार्गों के माध्यम से नशीली दवाओं की बढ़ती तस्करी पर अंकुश लगाने की आवश्यकता शामिल हैं। इस बैठक में नशीली दवाओं की तस्करी के लिए डार्कनेट और अन्य उन्नत तकनीकों के दुरुपयोग के बारे में प्रमुखता से विचार-विमर्श किया गया।
सदस्य राष्ट्रों ने बैठक में चर्चा के लिए सभी बिंदुओं को शामिल करने वाली एक विज्ञप्ति को अंगीकृत किया।
ब्रिक्स 5 राष्ट्रों का एक अनौपचारिक समूह है, जिसमें फेडरेटिव रिपब्लिक ऑफ ब्राजील, रूसी संघ, भारत गणराज्य, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य शामिल हैं। ब्रिक्स देशों की बढ़ती आर्थिक ताकत, वैश्विक आर्थिक विकास के मुख्य संचालन बलों में से एक के रूप में उनका महत्व, उनकी भारी आबादी और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर उनके प्रभाव की नींव स्थापित करते हैं और समूह के पीछे मुख्य बल भी हैं। सहयोग के अन्य क्षेत्रों में मुख्य रुप से नशीली दवाओं की दस्करी से संबंधित मामले ब्रिक्स सदस्य राष्ट्रों में सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।