नई दिल्ली: केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मुजफ्फरपुर से लौटने के बाद नई दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक में बिहार में एईएस/जेई बीमारी से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर तथा एम्स के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री अश्वनी चौबे भी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने फौरन एक उच्चस्तरीय बहु-विषयी टीम बिहार भेजने का निर्देश दिया है। यह टीम मुजफ्फरपुर में अत्याधुनिक बहु-विषयी अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने के लिए प्रारंभिक कार्य करेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कल अपनी समीक्षा में मुजफ्फरपुर में ऐसे अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के बारे में राज्य को आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण को जानने के लिए एक अन्तर विषयी उच्च गुण्वत्ता सम्पन्न अनुसंधान टीम की तत्काल आवश्यकता है। अनुसंधान टीम एईएस/जेई बीमारी से पीडि़त बच्चों के साथ काम करेगी और बीमारी की अवधि, बीमारी चक्र, पर्यावरण कारणों तथा मापन डाटा तथा अन्य कारणों पर गौर करेगी।
अन्तर विषयी टीम में आईसीएमआर दिल्ली; निमहान्स, बंगलूरू; राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान; राष्ट्रीय आहार संस्थान, हैदराबाद; राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान(एनआईवी), पुणे, राष्ट्रीय महामारी संस्थान(एनआईई) चेन्नई तथा एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ हैं।
उच्च्स्तरीय केन्द्रीय टीम के सदस्य इस प्रकार हैं:
- डॉ. झुमा शंकर, एसोसिएट प्रोफेसर, शिशु रोग विभाग, एम्स दिल्ली
- डॉ. वी रवि सीनियर प्रोफेसर न्यूरो वायरोलॉजी, निमहान्स
- डॉ. अभिनव सिन्हा, वैज्ञानिक ई, राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान
- डॉ. बिश्वरूप, असिस्टेंट प्रोफेसर, पेडियेट्रिक न्यूरोलॉजी, एम्स
- डॉ. मनोज मुरहेकर, निदेशक, राष्ट्रीय महामारी संस्थान, चेन्नई
- डॉ. तंडाले, वैज्ञानिक एफ, एनआईवी, पुणे
- डॉ. अरलप्पा, वैज्ञानिक एफ, राष्ट्रीय आहार संस्थान, हैदराबाद
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में पांच वायरोलॉजीकल प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। जिलों के चयन के बारे में निर्णय राज्य सरकार की सलाह से लिया जाएगा और इसका धन पोषण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से किया जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने मुजफ्फरपुर यात्रा के दौरान राज्य सरकार द्वारा एसकेएमसीएच में 100 बिस्तर का शिशु रोग आईसीयू स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त केन्द्र की सहायता से पड़ोसी जिलों में 10 बिस्तरों का आईसीयू स्थापित किया जाएगा।