मुंबईः देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से एक महाघोटाला सामने आया है, जहां 50 लाख से ज्यादा निवेशकों से सात हजार करोड़ से ज्यादा की रकम ठग ली गई। लोगों को ठगी का एहसास हुआ तो मामले में सेबी में शिकायत की गई, जिसके बाद कंपनी के छह निदेशकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। फिलहाल मामले को आर्थिक अपराध शाखा ने अपने हाथ में ले लिया है।
इकनॉमिक ऑफेंसेज विंग के ऑफिसर ने कहा कि एजेंसी ने इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। साथ ही, पीसीएल और इसके छह डायरेक्टरों के खिलाफ महाराष्ट्र प्रॉटेक्शन ऑफ इंट्रेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (एमपीआईडी) की धाराएं भी लगाई गई हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नरेन्द्र वाटुकार नाम के एक निवेशक ने बीते 10 दिसंबर को कंपनी के खिलाफ पुलिस में भी धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा दी है। अधिकारी के अनुसार फिलहाल प्रभादेवी इलाके में स्थित कंपनी का ऑफिस बंद हो गया है।
नहीं ली थी सेबी की अनुमति
जिन निवेशकों से बंपर रिटर्न्स के वादे किए गए थे, उन्हें हॉलिडे पैकेज नहीं मिले। ऐसे में एक इन्वेस्टर ने सेबी से शिकायत कर दी और मामले की जांच शुरू हो गई। जांच में पता चला कि कंपनी सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) चला रही थी जिसके लिए सेबी से अप्रूवल लेना जरूरी था, लेकिन डायरेक्टर्स ने अनुमति नहीं ली थी। सेबी ने पहले कंपनी पर पाबंदी लगा दी और उसे बिजनस बंद करने को कहा। सेबी ने कंपनी से कहा कि वह अब किसी से पैसे नहीं ले सकती है और उसे तीन महीने के अंदर निवेशकों के पैसे हर हाल में लौटाने होंगे। सेबी ने उसे अपनी एक भी प्रॉपर्टी बेचने से भी रोक दिया।पीसीएल ने सेबी के इस आदेश को सिक्यॉरिटीज अपेलट ट्राइब्यूनल (एसएटी) में चुनौती दी, लेकिन एसएटी ने भी सेबी के आदेश पर मुहर लगा दिया।
इकनॉमिक ऑफेंसेज विंग के हाथ में केस
इकनॉमिक ऑफेंसेज विंग के एक अधिकारी ने बताया, ‘एक निवेशक दादर पुलिस स्टेशन में 40,000 रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। उसके अलावा, 82 अन्य निवेशकों ने इकनॉमिक ऑफेंसेज विंग से संपर्क कर पीसीएल के खिलाफ ऐसी ही शिकायतें कीं। सेबी अधिकारियों ने इकनॉमिक ऑफेंसेज विंग को कहा कि पीसीएल ने 51 लाख निवेशकों से 7,035 करोड़ रुपए जुटाए हैं। हमने पुलिस स्टेशन से जांच की जिम्मेदारी ले ली है और केस से संबंधित दस्तावेज जुटाने जा रहे हैं। साथ ही, पीड़ितों के बयान भी लिए जाएंगे।’
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