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नेशनल डिफेंस कॉलेज के 55वें एनडीसी पाठ्यक्रम के सदस्यों और स्टॉफ के साथ मुलाकात के अवसर पर राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का भाषण

देश-विदेश

नई दिल्ली: नेशनल डिफेंस कॉलेज के कमांडेंट, लेफ्टिनेंट जनरल नवकिरण सिंह घई, अति विशिष्ट सेवा मेडल (बार), संकाय और स्टॉफ के सदस्यों, भारतीय सशस्त्र सेनाओं, सिविल सेवाओं और मित्र देशों के अधिकारियों, आप सबका राष्ट्रपति भवन में स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।

  1. आज वैश्विक वातावरण अपने गतिशील स्वरूप के कारण विश्व के सामने अनेक चुनौतियां पैदा कर रहा है। अभी हाल के दिनों में ऐसी अनेक घटनाएं आश्चर्यजनक गति से घटित हुई हैं जो पिछले दशक में भी सामने नहीं आई।

  1. प्रत्येक देश अपने कार्यों में अपने राष्ट्रीय हितों और उद्देश्यों द्वारा निर्देशित होता है। शक्ति संबंध लगातार बदल रहे हैं और जो देश अपने चारों ओर हो रहे इन परिवर्तनों को समझे बिना इनकी सराहना करता है और अपने आप को समायोजित करता है तो वह खुद अपनी सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल देगा।
  2. क्योंकि प्राकृतिक और मानव निर्मित संसाधन हमेशा ही कीमती होते हैं इसलिए इन संसाधनों पर नियंत्रण कायम करने के लिए राष्ट्रों के बीच कड़ा मुकाबला हो जाएगा।
  3. सुरक्षा केवल क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण तक ही सीमित नहीं है क्योंकि इसमें आर्थिक, ऊर्जा, खाद्य, स्वास्थ्य, पर्यावरण और राष्ट्रीय भलाई के अन्य आयाम भी शामिल होते हैं। सभी क्षेत्रों और विषयों में गहन अनुसंधान और गुणवत्ता विश्लेषण पूर्व अपेक्षित जरूरत है, जो विभिन्न विषयों के व्यापक अध्ययनों के समग्र दृष्टिकोण का आह्वान करते हैं। इन बुनियादी संपर्कों को मजबूत करने तथा इन्हें बड़ी कठोरता से विभाजित न होने देने के लिए सचेत प्रयास किये जाने चाहिएं। ऐसी पहुंच अपनाने से ज्यादा लाभकारी परिणाम सामने आयेंगे।
  4. किसी राष्ट्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस प्रकार और कितने प्रभावी ढ़ंग से अपने सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करता है। इन संसाधनों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानव संसाधन है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मानव संसाधन का विकास एक कठिन कार्य है जिसकी जिम्मेदारी भारत के नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा उठायी जा रही है। जहां न केवल सशस्त्र बलों के बल्कि सिविल सेवाओं और मित्र देशों के वरिष्ठ अधिकारी, जो पृष्ठ भूमि जानकारी से सम्पन्न होते हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित नीति निर्णय लेने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं।
  5. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी जैसी लोकतांत्रिक प्रणाली में राज्य के विभिन्न अंगों को एक दूसरे की ताकत और सीमाओं को समझना चाहिए। राजनीतिक नेतृत्व और सिविल सेवा के अधिकारियों को रक्षा बलों की क्षमताओं और सीमाओं से भली भांति परिचित होना चाहिए। इसी प्रकार सशस्त्र बलों के अधिकारियों को संवैधानिक ढ़ांचे की सीमाओं से परिचित होने की जरूरत है जिसके तहत राजनीतिक तंत्र और सिविल सेवाएं कार्य करती हैं। हालांकि इन दोनों को व्यापक महत्व के सुविचारित निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक परिप्रेक्ष्य की जानकारी होनी चाहिए।
  6. नेशनल डिफेंस कॉलेज के कोर्स के पाठ्यक्रम में कुल छः अध्ययन शामिल हैं। सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन भारतीय समाज और राजनीति की मुख्य विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले मुद्दों की समीक्षा करते हैं। अर्थव्यवस्था, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी अध्ययन आपको उन सिद्धांतों और व्यवहारों की जानकारी देता है जो सुरक्षा से संबंधित क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए आर्थिक रूझानों के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रभाव को आकार देते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण, वैश्विक मुद्दे और भारत की सामरिक पड़ोस से संबंधित अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण और इसका भारत की विदेश नीति पर प्रभाव के बारे में ध्यान केन्द्रित करता है। अंतिम अध्ययन में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए  रणनीति और संरचनाओं के लिए उन सभी बातों का संकलन और समापन किया जाता है जो वर्ष के दौरान सीखी गई हैं और अनुभव की गई हैं।
  7. मुझे उम्मीद है कि यह पाठ्यक्रम आपको अधिक जागरूक और एक अच्छा जानकार व्यक्ति बनाएगा जो देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अच्छे विवेकपूर्ण निर्णय ले सकें। ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक चाणक्य ने राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्याओं के लिए बहुविषयी दृष्टिकोण की पहचान की थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1960 में नेशनल डिफेंस कॉलेज का उद्धाटन करते हुए कहा था कि रक्षा एक अलग-थलग विषय नहीं है बल्कि यह देश में आर्थिक, औद्योगिक और अन्य पहलुओं के साथ जुड़ा हुआ है।
  8. सैन्य मामलों में क्रांति और वैश्विकरण के कारण सशस्त्र सेनाओं की भूमिका का परंपरागत सैन्य मामलों से अलग भी विस्तार हुआ है। यह स्पष्ट है कि रक्षा और सुरक्षा वातावरण में भविष्यों के संघर्षों के लिए अधिक एकीकृत बहुदेशीय और बहुएजेंसी दृष्टिकोण की जरूरत पड़ेगी। भविष्य के जटिल सुरक्षा वातावरण से निपटने के लिए सैन्य अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और सिविल सेवकों को तैयार करने के लिए एक समग्र और व्यापक तरीका अपनाने की जरूरत पड़ेगी।
  9. अंत में मैं एक बार फिर आपकों भविष्य में किए जाने वाले आपके प्रयासों की सफलता की कामना करता हूं और यह उम्मीद करता हूं कि आप नेशनल डिफेंस कॉलेज और अपने-अपने देशों के लिए अधिक प्रतिष्ठा अर्जित करेंगे।

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