कालाढूंगी: शिकारी और पर्यावरणविद जिम कार्बेट के छोटी हल्द्वानी स्थित घर के लिए तीन अप्रैल (रविवार) का दिन खास बन गया। 69 साल पूर्व देश छोड़ते समय जिम कार्बेट ने जिस राइफल को इंग्लैंड में जमा करा दिया था, वह रविवार को उनके इस घर में वापस आ गई। उनकी राइफल यहां कुछ दिनों के लिए आई है, लेकिन विख्यात शिकारी की इस बेशकीमती निशानी को देखने पर्यटकों का तांता लग गया।
जिम कार्बेट के घर की शान रही ‘275 रिग्बी राइफल’ साल 1907 में उन्हें संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने तब उपहार में दी थी, जब उन्होंने चम्पावत में आतंक की पर्याय बनी एक आदमखोर बाघिन को ढेर किया था। देश की आजादी के बाद नवंबर 1947 में जिम कॉर्बेट भारत छोड़कर केन्या में बस गए थे। उस समय उन्होंने इस राइफल को इंग्लैंड स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पे्रस में जमा कर दिया था। तब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस को लिखे पत्र में जिम कॉर्बेट ने जिक्र किया था ‘इस राइफल ने भारत में शिकार के दौरान उनका बहुत अच्छा साथ दिया।’
वर्तमान में कार्बेट की इस विरासत को संभाल रहे इंग्लैड निवासी मार्क न्यूटन और साइमन राइफल लेकर रविवार को कार्बेट के गांव छोटी हल्द्घानी पहुंचे। मार्क ने बताया कि वह दस दिन के लिए जिम कॉर्बेट की बेशकीमती निशानी लेकर यहां आए हैं।
कार्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी में स्थित कार्बेट म्यूजियम में रविवार को कई पर्यटकों और स्थानीय ग्रामीणों ने 275 रिग्बी राइफल के दीदार किए। कार्बेट ग्राम विकास समिति के इंद्र बिष्ट ने बताया कि इस राइफल के चश्मदीद भारतीय गवाह और कार्बेट के सहयोगी कुंवर सिंह, शेर सिंह, मोती सिंह, चिरंजीलाल साह, देववण गोस्वामी आदि थे, अब इनमें कोई जीवित नहीं है।
जिम कार्बेट के बारे में…
– 1875 में नैनीताल में हुआ था जिम कार्बेट का जन्म
– 1915 में जिम कार्बेट ने कालाढूंगी के पास छोटी हल्द्वानी बसाई
– 300 आदमखोरों को मारा था उत्तराखंड में, इनमें 250 गुलदार और 50 बाघ
– 1947 नवंबर में कार्बेट भारत छोड़कर केन्या में बस गए थे