नई दिल्ली: निर्यात को दोगुना करने और किसानों की आय को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पिछले वर्ष कृषि निर्यात नीति की घोषणा की गई थी। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) कृषि निर्यात नीति (एईपी) के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकारों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण अपना रहा है। पूरे वर्ष में एपीडा ने राज्य कार्य योजना की तैयारी के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की, जिसमें उत्पादन क्लस्टर, क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स और अनुसंधान एवं विकास और बजट आवश्यकताओं के कार्यान्वयन के लिए बजट आवश्यकताओं जैसे सभी अनिवार्य घटक शामिल थे। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, पशुपालन और डेयरी विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और समनुरूप मंत्रालयों के तहत अन्य एजेंसियों के साथ निर्यात बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार करने हेतु इनपुट मांगने और व्यापार में मौजूदा अड़चनों को दूर करने के लिए कई दौर की चर्चा हुई।
कई राज्यों ने नोडल एजेंसी और नोडल अधिकारी को नामित किया है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नागालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब और कर्नाटक ने राज्य कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है और अन्य राज्य कार्य योजना को अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं।
कई राज्यों में राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन किया गया है। एपीडा के नोडल अधिकारियों द्वारा जालंधर (आलू), जोधपुर (इसबगोल), बनासकांठा (डेयरी उत्पाद), सांगली (अंगूर), सोलापुर (अनार), नागपुर (नारंगी), चित्तूर (मैंगो), थेनी (केला), सलेम (पोल्ट्री उत्पाद), इंदौर (प्याज) और चिक्काबल्लापुर (गुलाब प्याज) उत्पाद समूहों के क्लस्टर का दौरा किया गया है। एईपी के तहत अधिसूचित क्लस्टर में क्लस्टर विकास के लिए रोडमैप तैयार किया गया जिससे कि क्लस्टर यात्राओं के दौरान चिन्ह्ति समस्याओं का समाधान किया जा सके। एपीडा द्वारा क्लस्टर यात्राओं के परिणामस्वरूप, राज्यों में क्लस्टर स्तरीय समिति अर्थात पंजाब में आलू, राजस्थान में इसबगोल, महाराष्ट्र में अनार, संतरा और अंगूर और तमिलनाडु में केला समिति का गठन किया गया है।
एपीडा ने पूरे वर्ष के दौरान कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन के लिए कई संगोष्ठियों और बैठकों का आयोजन किया है। 3 सितंबर, 2019 को नई दिल्ली में कृषि निर्यात में राज्य की नोडल एजेंसियों की भूमिका पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें राज्यों में एईपी के कार्यान्वयन पर चिंतन बैठकों के आयोजन के लिए अधिकांश राज्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
एईपी में उनकी सक्रिय भूमिका के लिए सहकारी समितियों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। निर्यातकों के साथ बातचीत करने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के लिए एक मंच प्रदान करने हेतु एपीडा द्वारा अपनी वेब साइट पर एक फार्मर कनेक्ट पोर्टल भी स्थापित किया गया है। पोर्टल पर 800 से अधिक एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।
निर्यातकों और एफपीओ के बीच क्रेता विक्रेता बैठक (बीएसएम) सह कार्यशाला का आयोजन उज्जैन (मप्र), महबूबनगर, महबूबबाद, संगारेड्डी (तेलंगाना), कंधमाल (ओडिशा), चित्रदुर्ग (कर्नाटक), शिलांग (मेघालय), शिमला (हिमाचल प्रदेश), कडप्पा (आंध्र प्रदेश), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), अगरतला (त्रिपुरा), नागपुर, सांगली (महाराष्ट्र) और देहरादून (उत्तराखंड) में राज्य नोडल एजेंसी के सहयोग से किया गया था।
एपीडा में एक बाजार आसूचना प्रकोष्ठ की स्थापना की गई और विस्तृत बाजार विश्लेषण, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मुद्दों, महत्वपूर्ण बाजारों में भारतीय निर्यातकों के लिए दिलचस्पी के वर्तमान परिदृश्य और ई-बाजार आसूचना रिपोर्टों के प्रसार की गतिविधि 25 नवंबर 2019 से शुरू की गई है। सभी ई-रिपोर्ट एपीडा की वेबसाइट https://apeda.gov.in पर उपलब्ध हैं। अब तक आम, बासमती चावल, गैर-बासमती चावल, मूंगफली, अंगूर, खीरा, निर्जलित प्याज, अनार, केला, आलू, भैंस के मांस, सूअर का मांस, ताजे कटे हुए फूल, शराब, अंडा, डेयरी उत्पादों (एसएमपी और पनीर), बिस्कुट, गुड़, बाजरा, सब्जी के बीज, मोरिंगा, मखाना, फलों के रस, आम का गूदा, आलू के गुच्छे और अनाज विनिर्मित पदार्थों के लिए 27 रिपोर्टें प्रसारित की गई हैं।