केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने ‘कोविड महामारी से निपटने के लिए अच्छे आचरण को अपनाने और इन्हें आगे बढ़ने के उपायों’ पर आयोजित की गई कार्यशाला में प्रतिभागियों को समापन भाषण दिया। इसका आयोजन आज स्वास्थ्य सचिवों और तकनीकी प्रमुखों की भागीदारी में किया गया। इसमें भारत के 9 पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान, सेशेल्स और श्रीलंका शामिल हुए।
माननीय प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों को उद्घाटन भाषण दिया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की समापन टिप्पणी इस प्रकार है:
प्रिय मित्रों और सहयोगियों,
कोविड-19 का प्रबंधन और इसकी चुनौतियों पर आयोजित इस कार्यशाला में आपकी उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं, जहां पर आपने अपने अनुभवों, अच्छी प्रथाओं और उन्हें आगे बढ़ने के उपायों को साझा किया है। मैं आप सभी को संबोधित करने में गौरव महसूस कर रहा हूं क्योंकि आप सभी समर्पित और गतिशील लीडर हैं और 10 देशों के सार्वजनिक स्वास्थ्य संचालक भी हैं।
दोस्तों,
हम सभी ने इस बात पर चर्चा की है कि किस प्रकार से इस महामारी ने हमें मानवता के प्रति हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण करने और तैयारियों के प्रति अनदेखी करने के बारे में गंभीरतापूर्वक अवगत कराया है। इसने हमें सिखाया है कि वैश्विक संकट के ऐसे समय में वैश्विक साझेदारियों को और अधिक मजबूत करने के लिए जोखिम प्रबंधन और गंभीरता दोनों ही आवश्यक हैं जिससे वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में हमारी दिलचस्पी और निवेश को फिर से महत्वपूर्ण बनाया जा सके, और यही कारण है कि आज हम सभी लोग यहां पर वैश्विक एकजुटता पर चर्चा कर रहे हैं।
दोस्तों,
माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात को विस्तार से बताया है कि किस प्रकार से आसन्न खतरे का समाना करने के लिए और तीव्र प्रतिक्रिया की शुरूआत करने में भारत प्रथम राष्ट्रों में से एक रहा है। उनके कुशल नेतृत्व में, हमने चुनौतियों से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर और दृढ़ संकल्प के साथ काम किया है। कई बाधाएं उत्पन्न होने के बावजूद, संक्रमण मामलों में भारत प्रति मिलियन और साथ ही दुनिया में सबसे कम मौतों वाली संख्या को बरकरार रखने में कामयाब रहा है और हम लगातार इन संख्याओं में कमी कर रहे हैं।
भारत की शक्ति यह रही है कि उसने “संपूर्ण सरकार” और “संपूर्ण समाज” वाले दृष्टिकोण को अपनाया है। 135 करोड़ की जनसंख्या वाले देश ने सरकार द्वारा महामारी का नियंत्रण करने के लिए लगाए गए कड़े दिशा-निर्देशों का पालन करने में अपनी ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। पूरे देश ने अपने नेता – माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुसरण करने में एकजुटता दिखाई है– जिन्होंने इस महामारी को रोकने हेतु अभूतपूर्व और मजबूत कदम उठाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है।
आज, भारत इस खतरनाक बीमारी से निपटने के लिए प्रत्येक भारतीय को टीका लगाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और हमने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया है और मुझे यह कहते हुए गर्व महसुस हो रहा है कि अब तक भारत में 88 लाख से ज्यादा लोगों का टीकाकरण सफलतापूर्वक किया जा चुका है।
अब हम देश में स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता दोनों को संतुलित करने हेतु रणनीति बनाने और तेजी के साथ सामान्य स्थिति की प्राप्ति करने और विवेकपूर्ण रूप से सामान्य स्थिति में वापसी करनी की दिशा की ओर देख रहे हैं।
इस अवसर पर मैं इस बात को दोहराना चाहता हूं कि इस आर्थिक संकट के समय में भारत को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए हमें एक महान नेतृत्व का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। मोदी जी के नेतृत्व में हमने इस चुनौती को एक अवसर में तब्दील कर दिया है, वास्तव में यह संकट उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के माध्यम से एक आदर्श परिवर्तन का अग्रदूत बन चुका है।
दोस्तों
2020 को मैंने विज्ञान का वर्ष कहा है जब मानवता का सबसे सुंदर हिस्सा उस निराशा के साथ उभरकर सामने आया है जिसको हम लोगों ने झेला है। इसमें प्रमुख वैश्विक सहयोग स्थापित किए गए हैं जिससे कि वैज्ञानिक अपनी विशेषज्ञताओं को साझा कर सकें।
हम सभी लोग जब विज्ञान की सराहना करते हैं, तो मेरे लिए यह कहना भी आवश्यक है कि यहां पर केवल विज्ञान नहीं है जिसका काम उल्लेखनीय रहा है बल्कि इस महामारी की सबसे बड़ी सफलता टीम वर्क और लोगों द्वारा अपने व्यक्तिगत क्षमता के माध्यम से सही परिणामों की प्राप्त करना रहा है। वास्तव में वैज्ञानिकों और संगठनों ने एक सार्थक लक्ष्य की प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित किया है, चाहे वह एक देश में या एक महाद्वीप में या पूरी दुनिया के लिए रहा हो।
दोस्तों,
भारत पहले से ही एक देश के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरी दुनिया के लिए अपने विचारों के माध्यम से नेतृत्व प्रदान करता रहा है, साझेदारी में संलग्न रहा है जहां पर संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता रही है, अनुसंधानों को आकार प्रदान करता रहा है और मूल्यवान ज्ञान के प्रसार को प्रोत्साहित करता रहा है। हम इस सिद्धांत में विश्वास करते हैं कि स्वास्थ्य के उच्चतम मानकों की प्राप्ति सभी लोगों को जाति, धर्म, राजनीतिक विश्वास, आर्थिक या सामाजिक स्थिति के भेद के बिना प्रदान किया जाना चाहिए जो कि प्रत्येक नागरिक के लिए उनके मौलिक अधिकारों में से एक है।
वैक्सीन मैत्री, हमारी एक अनूठी पहल है जिसका अर्थ है कि वैक्सीन दोस्ती की शुरूआत की गई है क्योंकि भारत की विदेश नीति हमेशा से “वसुधैव कुटुंबकम” वाली अपनी सदियों पुरानी वक्तव्य से संचालित होती रही है जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है।
जब पूरी दुनिया में इस महामारी के इलाज और टीके की कमी के संदर्भ में ‘विश्वास का संकट’ हो रहा था, तब प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस बात की पुष्टि की कि भारत मानवता की सहायता के लिए अपने उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल वायरस से लड़ने में करेगा। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत के मानवीय व्यवहार और देखभाल की पूरी दुनिया में सराहना हो रही है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत पूरी दुनिया में शांति, सुरक्षा, सहयोग और समृद्धि में विश्वास रखता है।
दोस्तों,
महामारी ने हमें सिखाया है कि इस प्रकार की सभी स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सामना करने के लिए एक साझा प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है क्योंकि ये खतरे सामुहिक होते हैं जिस पर विजय प्राप्त करने के लिए साझा जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है। वास्तव में, राष्ट्रों के लिए वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता अपने साझा आदर्श को चरम पर लेकर जाने की है।
मैं एक बार फिर आप सभी को इस कार्यशाला में शामिल होने और आपसी सहयोग और एकजुटता के माध्यम से दुनिया के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करने के लिए एक खाका खींचने के लिए धन्यवाद देता हूं।