नई दिल्ली: आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येसो नाईक ने आज नई दिल्ली में हर्बल दवाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियामकीय सहयोग (आईआरसीएच) की नौवीं वार्षिक बैठक का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय बैठक का आयोजन आयुष मंत्रालय की ओर से नई दिल्ली में 8 से लेकर 10 नवम्बर, 2016 तक किया जा रहा है। 17 देशों के 33 से भी अधिक प्रतिनिधिगण आईआरसीएच की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक में भाग ले रहे हैं।
प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए श्री श्रीपद नाईक ने कहा कि पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित इलाज विकसित करना अत्यावश्यक है। यही कारण है कि हम लम्बे समय से भेषज (फार्माकोपिया) एवं सूत्र-संहिताओं (फार्मूलरी) पर काम कर रहे हैं और हमने हर्बल अर्क सहित आयुर्वेदिक दवाओं के गुणवत्ता मानक तय किये हैं। आयुष मंत्री ने कहा कि फार्माकोपिया से संबंधित कार्यों को काफी महत्व दिया गया है और वैश्विक गुणवत्ता मानकों से तुलनीय भारतीय दवाओं के गुणवत्ता मानक विकसित करने के लिए भारतीय चिकित्सा फार्माकोपिया आयोग का गठन किया गया है। श्री नाईक ने कहा कि शिक्षा, प्रैक्टिस एवं दवाओं के लिए नियामकीय कानून पहले ही बनाये जा चुके हैं और उभरती आवश्यकताओं के अनुरूप इनमें समय-समय पर संशोधन किये जाते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दवाओं की पारंपरिक प्रणालियां एक ऐसे चरण में पहुंच गई हैं जहां हम इन प्रणालियों के भूमंडलीकरण के साथ-साथ पारंपरिक दवाओें के लिए दिशा-निर्देश अथवा मानक विकसित करने हेतु अन्य देशों को तकनीकी सहायता एवं कच्चे माल की पेशकश करने की उम्मीद कर सकते हैं। श्री श्रीपद नाईक ने कहा कि भारत ने पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में गठबंधन को बेहतर करने के उद्देश्य से पिछले दो वर्षों में अन्य देशों के साथ 6 सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये हैं।
आयुष सचिव श्री अजित मोहन शरण ने इस बैठक में भाग ले रहे प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
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