नई दिल्ली: श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित किया। श्रम मंत्री ने श्रमिकों के कल्याण के लिए ट्रेड यूनियनों के विषयों और उनकी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार के जारी प्रयासों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा
कि सरकार ट्रेड यूनियनों की 12 में से कम से कम 9 मांगों पर सकारात्मक कार्य कर रही है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि यह आश्वस्त किया गया है कि श्रम कानून सुधारों पर ट्रेड यूनियनों से विचार विमर्श किया जायेगा। 27 अगस्त 2015 को ट्रेड यूनियनों से की गई अपील को जारी रखते हुए श्रम मंत्री ने एक बार फिर यूनियनों से श्रमिकों तथा राष्ट्र के हित में कल की प्रस्तावित हड़ताल के आहवान पर फिर से विचार करने की अपील की है।
अपने पत्र के संदर्भ में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाई गई मांगों पर 2 सितम्बर, 2015 को आपके हड़ताल के आहवान पर आपसे पुन: विचार करने की अपील करता हूं। आपसे आपके निर्णय पर फिर से विचार करने का अनुरोध करते हुए मैं आपके विचार के लिए निम्न बातों को ध्यान में लाना चाहूंगा।
आपके द्वारा दिया गया चार्टर ऑफ डिमांड मेरे लिए उच्च प्राथमिकता में है। मैंने चार्टर ऑफ डिमांड से संबंधित विषयों पर चर्चा के लिए 19 नवम्बर, 2014 को आपके साथ बैठक की थी। उसके बाद 15 मई, 2015 को एक और बैठक हुई जिसमें पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माननीय श्री धमेन्द्र प्रधान, ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माननीय श्री पीयूष गोयल ने भी भाग लिया। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा गठित अंतर-मंत्रालय समिति (आईएमसी) ने 19 जुलाई, 2015 को आपके साथ अपनी पहली बैठक की। चार्टर ऑफ डिमांड से संबंधित विषयों पर चर्चा के लिए आईएमसी की दूसरी बैठक दो दिन 26 तथा 27 अगस्त 2015 को हुई।
अंतर-मंत्रालय समिति द्वारा आयोजित बैठकों में आपके द्वारा दिये गये सुझाव के संदर्भ में सरकार ने निम्न आश्वासन दिया है:
1. सभी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देने के लिए सरकार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में संशोधन करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार केन्द्रीय सरकार तीन विभिन्न श्रेणियों के राज्यों के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी तय करेगी। राज्य सरकारों के लिए यह आवश्यक है कि उनकी न्यूनतम मजदूरी केन्द्रीय सरकार द्वारा तय राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं हो। यदि राज्य द्वारा पहले अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी से अधिक है तो अधिसूचित उच्च न्यूनतम मजदूरी लागू रहेगी। आईएलसी द्वारा दिए गए राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी मानकों को तय करते समय उच्चतम न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखा जायेगा। अभी राष्ट्रीय फ्लोर लेवल न्यूनतम मजदूरी 160 रूपये प्रतिदिन है लेकिन नए मानकों के लागू से न्यूनतम मजदूरी 273 रूपये से कम नहीं होगी।
2. बोनस के उद्देश्य के लिए मजदूरी पात्रता सीमा तथा गणना सीमा में उचित संशोधन किया जायेगा। मजदूरी पात्रता सीमा में संशोधन कर इसे 10,000 रूपये से 21,000 रूपये करने का प्रस्ताव है तथा गणना सीमा 3500 रूपये से 7000 हजार करने या उचित सरकार द्वारा उस श्रेणी के लिए अधिसूचित न्यूनतम पारिश्रमिक, जो भी अधिक हो, का प्रस्ताव हैं न्यूनतम मजदूरी संशोधन प्रस्ताव से औसत गणना सीमा लगभग 10,000 रूपये होगी।
3. सरकार ने सभी श्रमिकों विशेषकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के लिए अनेक कदम उठाये हैं। सरकार निर्माण श्रमिकों, रिक्शा चालकों, ऑटो रिक्शा चालकों तथा आंगनवाड़ी केन्द्रों, मिड डे मील, जैसी विभिन्न योजनाओं के कार्यकताओं को शामिल करने के उपायों पर काम कर रही है। संगठित श्रमिकों के लिए भी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों के लिए एकांउट पोर्टिबिलिटी के लिए यूनिवर्सल एकांउट नम्बर तथा ईएसआईसी द्वारा शुरू किया गया दूसरी पीढ़ी के स्वास्थ्य सुधार जैसी अनेक पहलें की गई हैं।
4. संविदा श्रमिकों के संबंध में वर्तमान अधिनियम की व्यापक समीक्षा पर विचार किया जा रहा है। प्रस्तावित संशोधित अधिनियम की मुख्य विशेषता पंजीकृत स्टॅाफिंग एजेंसियों के माध्यम से संविदा श्रमिकों की तैनाती को प्रोत्साहित देना है ताकि नियमित श्रमिकों की तरह संविदा श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज और सामान कार्य परिस्थिति सुनिश्चित हो सके। समान कार्य के लिए नियमित श्रमिकों की तरह संविदा श्रमिकों को समान कार्य मजदूरी देने पर व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता है और यदि जरूरी हुआ तो इसके लिए एक समिति गठित की जायेगी।
5. सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्य के लिए न्यूनतम पेंशन पहले ही बढ़ा दिया है और सभी पेंशनधारियों को हमेशा प्रतिमाह 1000 रूपये न्यूनतम पेंशन मिलता है।
6. जैसाकि माननीय प्रधानमंत्री ने पहले ही कहा है कि श्रम कानून सुधार त्रिपक्षीय विचार विमर्श पर आधारित होंगे। राज्यों को भी त्रिपक्षीय प्रक्रिया का पालन करने की सलाह दी जा रही है। मैंने प्रस्तावित श्रम कानून संशोधन पर आपके साथ अनेक त्रिपक्षीय विचार विमर्श बैठकें की हैं। भविष्य में भी श्रम कानूनों में किसी प्रस्तावित संशोधन के लिए त्रिपक्षीय विचार विमर्श होगा।
7. श्रम कानून की कड़ाई से पालन के लिए राज्यों को सलाह दी गई है और केंद्रीय सरकार द्वारा इसकी कड़ी निगरानी की जा रही है। मैंने श्रम कानूनों को कड़ाई से लागू करने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को 25-5-2015 को एक पत्र लिखा। श्रम एवं रोजगार सचिव ने भी इस संबंध में सभी राज्यों को मुख्य सचिवों को 27-5-2015 तथा 26-8-2015 को पत्र लिखा है। मुख्य श्रम आयुक्त (केन्द्रीय) ने 26-8-2015 को श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन के लिए सर्कुलर जारी किया।
8. रोजगार सृजन के लिए सरकार ने मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, मुद्रा योजना तथा राष्ट्रीय करियर सर्विस पोर्टल जैसे कार्यक्रम शुरू कर किए गए हैं।
9. पारदर्शिता और भर्ती प्रक्रिया में तेजी के लिए निचले स्तर की नौकरियों के लिए, जिसमें विशेष ज्ञान/विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है, साक्षात्कार प्रणाली को खत्म किया जा रहा है।
10. अनेक वर्षों में प्याज और दालों को छोड़कर मुद्रा स्फीति न्यूनतम रही है। सरकार प्याज और दालों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
11. माननीय वित्त मंत्री ने अपनी समापन टिप्पणी में बहुत ही स्पष्ट कहा है कि नई सरकार ने सभी के लाभ के लिए विशेषकर गरीब तथा समाज के वंचित लोगों के लाभ के लिए, एक व्यावहारिक आर्थिक एजेंडा, तैयार किया है। लेकिन इस एजेंडे को आपके समर्थन की आवश्यकता है। हम आपके मूल्यवान सुझाव की सराहना करेंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया है कि श्रमिक यूनियनों से निरंतर संवाद जारी रहेगा।
12. उन्होंने इस बात की भी चर्चा की कि जहां तक रेलवे में एफडीआई का संबंध है यह आवश्यक है, क्योंकि रेलवे को मूलभूत अवसंरचना को उन्नत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है। यह निजी क्षेत्र की सहायता से ही संभव है और इसलिए रेलवे में एफडीआई केवल अवसंरचना के लिए है और रेलवे के संचालन में अनुमति नहीं दी जाएगी।
13. जहां तक रक्षा क्षेत्र में एफडीआई का संबंध है, वित्त मंत्री ने बताया है कि भारत विश्व में सैन्य हार्डवेयर आयात करने वाला सबसे बड़ा देश है। इसका अर्थ यह है कि निजी संगठनों सहित बाहरी लोगों को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का भुगतान किया जा रहा है। दूसरी ओर यदि हम अपने देश में सैन्य हार्डवेयर तैयार करते हैं तो हम न केवल विदेशी मुद्रा की दृष्टि से बचत करते हैं बल्कि देश के अंदर अनेक रोजगार सृजन करते हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम रक्षा क्षेत्र में एफडीआई का लाभ उठाएं ताकि तीन उद्देश्य (1) विदेशी मुद्रा बचत (2) रोजगार सृजन (3) और देश की सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना- पूरे किए जा सकें।
और अंत में, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने कहा है, श्रम सुधारों की यात्रा तब तक पूरी नहीं होगी जब तक हम श्रमिक और श्रमिक यूनियनों से वार्ता और विचार विमर्श नहीं करते। मैं अश्वासन देता हूं कि हम श्रम यूनियनों से विचार-विमर्श करेंगे और श्रमिकों को प्रभावित करने वाले अन्य विभागों के कदमों सहित सभी कदमों में श्रम यूनियनों के विचारों को उचित महत्व देंगे।