नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के अंतर्गत वित्त वर्ष 2018-19 में अब तक 92 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान 15 दिन के भीतर हुआ है। यह प्रतिशत 2014-15 में 26.85 प्रतिशत था, जो समय पर भुगतान करने की दिशा में सुधार को दर्शाता है। मनरेगा के आवंटन में 2018-19 में 55 हजार करोड़ रुपये की रिकॉर्ड वृद्धि हुई। अब तक केन्द्र सरकार राज्यों को 45,070 करोड़ रुपये की जारी कर चुकी है। राज्यों की हिस्सेदारी सहित, अब तक 50,000 करोड़ रुपये कार्य के लिए उपलब्ध हैं। राज्य सरकारों से लेखा-जांच मिलने पर इस सप्ताह अतिरिक्त धनराशि जारी की जा रही है ताकि सभी राज्यों में पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। अधूरे कार्यों पर जोर डालने से यह दिखाई देता है कि पिछले 30 महीनों में रिकॉर्ड 1.70 करोड़ परिसंपत्तियां पूरी हुई। यह परिसंपत्तियां प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एऩआरएम), जल संरक्षण कार्यों, स्थाई परिसंपत्तियों और काफी बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के अंतर्गत गरीब परिवारों को अपने घरों के निर्माण के लिए 90/95 दिन के कार्य की उपलब्धता सहित निजी लाभ योजनाओँ के लिए है। स्वतंत्र मूल्यांकन अध्ययनों से आमदनी, क्षेत्रफल, उत्पादकता, चारे की उपलब्धता और भूमि के जलस्तर में सुधार के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की सफलता का संकेत मिलता है। इसी प्रकार से निजी लाभ योजनाओं खासतौर से पशु संसाधनों का स्वतंत्र आकलन आजीविका विविधता और गरीबी कम करने में योगदान करता है।
अब तक वर्तमान वित्त वर्ष में 142 करोड़ मानव दिवस कार्य सृजित किया जा चुका है। आपदा अथवा सूखे से प्रभावित सभी राज्यों और जिलों को उनकी जानकारी के आधार पर मानव दिवस दिये गये हैं। कुल मानव दिवसों का 53 प्रतिशत महिला कामगारों के जरिये सृजित हुआ है। वर्तमान वित्त वर्ष में 3.57 लाख निःशक्तजनों को काम दिया गया है।