18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत-कोरिया बिजनेस शिखर सम्‍मेलन-2018 में प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

देश-विदेश

नई दिल्लीः मैं यहां आपके बीच उपस्थित होकर अत्‍यंत प्रसन्‍न हूं। भारत में कोरियाई कंपनियों का इतना व्‍यापक एकत्रीकरण वास्‍तव में एक वैश्विक गाथा है। मैं इस अवसर पर भारत में आप सभी का स्‍वागत करता हूं। भारत और कोरिया के बीच संबंध सदियों पुराने हैं। यह माना जाता है कि एक भारतीय राजकुमारी ने कोरिया की यात्रा की थी और फिर आगे चलकर कोरिया में एक रानी बन गई थी। हम अपनी बौद्ध परंपराओं से बंधे हुए हैं। हमारे नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1929 में कोरिया के गौरवशाली अतीत और उसके उज्ज्वल भविष्य पर  एक कविता ‘लैंप ऑफ द ईस्‍ट’ की रचना की थी। कोरिया में बॉलीवुड फिल्में भी अत्‍यंत लोकप्रिय हैं। कुछ महीने पहले भारत में आयोजित प्रो-कबड्डी लीग में कुछ अत्‍यंत उत्साहवर्धक वाहवाही एक कोरियाई कबड्डी खिलाड़ी को मिली थी। यह भी एक अच्‍छा संयोग है कि भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही अपना स्‍वतंत्रता दिवस 15 अगस्‍त को ही मनाते हैं। राजकुमारी से लेकर कविता तक और बुद्ध से लेकर बॉलीवुड तक हममें बहुत सारी समानताएं हैं।

जैसा कि मैंने पहले उल्‍लेख किया है, मुझे कोरिया ने हमेशा मंत्रमुग्‍ध किया है। मैं जब गुजरात का मुख्‍यमंत्री था तो मैंने कोरिया का दौरा किया था। मुझे काफी आश्चर्य होता था कि गुजरात के आकार का एक देश इतनी ज्‍यादा आर्थिक प्रगति कैसे कर सकता है। मैं कोरियाई लोगों की उद्यमिता की भावना की सराहना करता हूं। कोरिया के लोगों ने जिस तरह से अपने वैश्विक ब्रांड बनाए हैं और उन्‍हें जिस तरह से बरकरार रखा है उसकी मैं भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं। आईटी एवं इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स से लेकर ऑटोमोबाइल और इस्‍पात तक कोरिया ने अनेक उत्‍कृष्‍ट उत्‍पाद विश्‍व के समक्ष पेश किए हैं। कोरियाई कंपनियों के नवाचार और सुदृढ़ विनिर्माण क्षमता के लिए उनकी सराहना की जाती है।

मित्रों !

यह अत्‍यंत उत्‍साहवर्धक बात है कि हमारा द्विपक्षीय व्‍यापार पिछले वर्ष 20 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया। पिछले छह वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है। वर्ष 2015 में मेरे दौरे के फलस्‍वरूप भारत पर सकारात्‍मक फोकस सुनिश्चित हुआ। आपके देश में अपनाई जा रही खुले बाजार से जुड़ी नीतियों में भारत के आर्थिक उदारीकरण और ‘लुक ईस्‍ट’ नीति की ही भांति जीवंतता है। 500 से भी ज्‍यादा कोरियाई कंपनियां भारत में भी अपना परिचालन कर रही हैं। दरअसल, आपके अनेक उत्‍पाद भारत में घर-घर में जाने जाते हैं। हालांकि, भारत में एफडीआई के इक्विटी प्रवाह में दक्षिण कोरिया 16वें पायदान पर है। भारत के विशाल बाजार और अनुकूल नीतिगत माहौल को देखते हुए इस देश में कोरियाई निवेशकों के लिए व्‍यापक गुंजाइश है।

चूंकि आपमें से ज्‍यादातर भारत में पहले से ही मौजूद हैं, इसलिए आप जमीनी वास्‍तविकताओं से पहले से ही अवगत हैं। यही नहीं, अनेक भारतीय सीईओ के साथ अपनी बातचीत के दौरान आप अवश्‍य ही यह समझ गए होंगे कि भारत किस दिशा में अग्रसर है। हालांकि, मैं आपका कुछ और समय लेना चाहूंगा। मैं इस अवसर पर उन लोगों को व्‍यक्तिगत तौर पर भारत आने के लिए आमंत्रित करना पसंद करूंगा जो अब तक यहां अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करा पाए हैं। यदि आप विश्‍व भर के देशों पर अपनी निगाहें डालेंगे तो आप पाएंगे कि ऐसे कुछ ही देश हैं जहां अर्थव्‍यवस्‍था के तीन महत्‍वपूर्ण कारक एक साथ मौजूद हैं।

ये कारक हैं: लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग। भारत में ये तीनों ही कारक एक साथ मौजूद हैं।

लोकतंत्र से मेरा आशय उदारवादी मूल्यों पर आधारित प्रणाली से है जो सभी के लिए खुला और निष्पक्ष अवसर सुनिश्चित करती है;

जनसांख्यिकी से मेरा आशय युवा और ऊर्जावान कर्मचारियों के विशाल और प्रतिभाशाली समूह से है।

मांग से मेरा आशय वस्‍तुओं और सेवाओं के विशाल एवं बढ़ते बाजार से है।

मध्‍यम वर्ग का बढ़ता आकार घरेलू बाजार में और ज्‍यादा विकास सृजित कर रहा है। हमने एक स्थिर व्‍यवसायिक माहौल बनाने, कानून का शासन सुनि‍श्चित करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में मनमानी समाप्‍त करने की दिशा में अथक प्रयास किए हैं। हम दैनिक लेन-देन में सकारात्‍मक चाहते हैं। हम संशय को और गहरा करने के बजाय विश्‍वास के दायरे को बढ़ा रहे हैं। यह सरकार के नजरिये में आमूलचूल बदलाव को दर्शाता है। इसके तहत किसी कारोबारी भागीदार को प्राधिकार जारी करने के बजाय ‘न्‍यूनतम सरकार, अधिकतम गवर्नेंस’ को हासिल करने पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है और जब भी ऐसा होता है तो नियमों एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण स्‍वत: ही शुरू हो जाता है।

कुल मिलाकर, ‘कारोबार में सुगमता’ के लिए इन्‍ही उपायों की अपेक्षा की जाती है। अब हम ‘जीवन यापन में सुगमता’ सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमने नियंत्रण एवं लाइसेंस की समाप्ति का अभियान शुरू किया है।

औद्योगिक लाइसेंसों की वैधता अवधि 3 साल से बढ़ाकर 15 साल एवं इससे भी ज्‍यादा कर दी गई है।

रक्षा उपकरणों के उत्‍पादन से जुड़ी औद्योगिक लाइसेसिंग व्‍यवस्‍था काफी हद तक उदार कर दी गई है।

पहले लाइसेंस के तहत उत्‍पादित किए जाने वाले लगभग 65-70 प्रतिशत उत्‍पादों को अब लाइसेंस के बिना ही उत्‍पादित किया जा सकता है।

हमने कहा है कि कारखानों का निरीक्षण केवल तभी किया जाएगा जब यह आवश्‍यक होगा और यह भी केवल तभी संभव होगा उच्‍च अधिकारी से इस बारे में अनुमति मिल जाएगी।

एफडीआई के मामले में हमारा देश अब विश्‍व के सर्वाधिक खुले देशों में से एक है।

हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के ज्‍यादातर क्षेत्र एफडीआई के लिए खुल चुके हैं। 90 प्रतिशत से भी ज्‍यादा मंजूरियां स्‍वत: रूट से मिल जाती हैं।

रक्षा क्षेत्र को छोड़ विनिर्माण क्षेत्र में निवेश के लिए अब व्यावहारिक रूप से सरकारी मंजूरी की कोई आवश्‍यकता नहीं रह गई है।

किसी कंपनी के गठन के साथ-साथ वैधानिक नंबरों का आवंटन अब सिर्फ एक दिन में ही हो जाता है।

हमने व्‍यवसाय, निवेश, गवर्नेंस और सीमा पार व्‍यापार के मोर्चे पर हजारों सुधार लागू किए हैं। इनमें से कुछ सुधार जैसे कि जीएसटी ऐतिहासिक हैं।

आपमें से कई लोग जीएसटी की बदौलत परिचालन में हुई आसानी को पहले से ही महसूस कर रहे होंगे।

हमने 1400 से भी ज्‍यादा ऐसे पुराने कानूनों और अधिनियमों को पूरी तरह से समाप्‍त कर दिया है जिनकी वजह से गवर्नेंस में जटिलता और बढ़ती जा रही थी।

इन उपायों से हमारी अर्थव्‍यवस्‍था उच्‍च विकास दर के पथ पर अग्रसर हुई है।

एफडीआई के प्रवाह में पिछले तीन वर्षों में सर्वाधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। घरेलू उद्योग में अब एक नई ऊर्जा एवं जीवंतता देखी जा रही है।

स्‍टार्ट-अप के लिए एक नए परितंत्र का अनावरण किया गया है।

अनूठी आईडी और मोबाइल फोन की बढ़ती संख्‍या की बदौलत हम एक डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था में तब्‍दील होने की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं।

हमारी रणनीति ऐसे करोड़ों भारतीयों की क्षमता से लाभान्वित होने की है जो हाल के वर्षों में ऑनलाइन हो गए हैं।

अत: एक ‘नया भारत’ उभर रहा है जो आधुनिक एवं प्रतिस्‍पर्धी होगा और इसके साथ ही सभी का ध्‍यान रखने वाला एवं करुणामय भी होगा।

जहां तक वैश्विक प्‍लेटफॉर्म का सवाल है,

भारत पिछले तीन वर्षों के दौरान विश्‍व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में 42 पायदान ऊपर चढ़ गया है।

हम विश्‍व बैंक के लॉजिस्टिक्‍स प्रदर्शन सूचकांक 2016 में 19 पायदान ऊपर चढ़ गए हैं।

हमने विश्‍व आर्थिक फोरम के वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में पिछले दो वर्षों में 31 पायदानों का सुधार दर्ज किया है।

हम पिछले दो वर्षों में विपो के वैश्विक नवाचार सूचकांक में भी 21 पायदान ऊपर चढ़ गए हैं।

हमारी गिनती भी अंकटाड द्वारा सूचीबद्ध शीर्ष 10 एफडीआई गंतव्‍यों में की जाती है।

हमारा विनिर्माण परितंत्र किफायत की दृष्टि से वैश्विक स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी है।

हमारे देश में ज्ञान एवं ऊर्जा से युक्‍त कुशल प्रोफेशनल बड़ी संख्‍या में हैं।

अब, हमारे देश में एक विश्‍वस्‍तरीय इंजीनियरिंग शिक्षा आधार और सुदृढ़ आरएंडडी सुविधाएं हैं।

पिछले दो वर्षों में हम कॉरपोरेट टैक्‍स के मोर्चे पर निम्‍न कर व्‍यवस्‍था की दिशा में अग्रसर हुए हैं। इस मोर्चे पर हमने नए निवेश और छोटे उद्यमों के लिए टैक्‍स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है।

हम भारत का रूपांतरण निम्‍नलिखित ढंग से करने के मिशन पर काम कर रहे हैं:

एक पुरानी सभ्यता के बजाय एक आधुनिक सभ्‍यता

एक अनौपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था के बजाय एक औपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था

आप हमारे कामकाज के दायरे एवं गुंजाइश की कल्‍पना कर सकते हैं। हम क्रय क्षमता की दृष्टि से पहले ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन चुके हैं। शीघ्र ही हम सांकेतिक जीडीपी की दृष्टि से विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएंगे। हम आज विश्‍व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍था भी हैं। भारत भी सबसे बड़ा स्‍टार्ट-अप परितंत्र स्‍थापित करने वाले देशों में से एक है।

हमारा विजन वैश्विक स्‍तर पर कौशल, गति एवं व्‍यापक स्‍तर से युक्‍त एक प्रतिस्‍पर्धी औद्योगिक एवं सेवा आधार सृजित करने का है। इसे ही ध्‍यान में रखते हुए हम निंरतर अपने देश में निवेश माहौल को बेहतर करने की दिशा में कार्यरत हैं। हम विशेषकर विनिर्माण क्षेत्र को कुछ इस तरह से बढ़ावा देना चाहते हैं जिससे कि यह क्षेत्र हमारे युवाओं के लिए रोजगार सृजित कर सके। इस उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए हमने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान शुरू किया है। अपने औद्योगिक बुनियादी ढांचे, नीतियों और प्रथाओं को सर्वोत्तम वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब में तब्‍दील करना भी इनमें शामिल हैं। इस पहल को ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘कौशल भारत’ जैसे कार्यक्रमों से पूरक के तौर पर काफी सहयोग मिला है। स्‍वच्‍छ एवं हरित विकास और ‘शून्य दोष शून्य प्रभाव’ वाला विनिर्माण भी हमारी एक अन्‍य प्रतिबद्धता है।

हम दुनिया के लिए प्रतिबद्ध हैं और बेहतर पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियों को अपनाने की दिशा में तेजी से अग्रसर हैं। मैंने पहले भी कहा है कि भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग और कोरिया के आईटी उद्योग के बीच सहयोग की व्‍यापक संभावनाएं हैं। आपकी कार निर्माण क्षमता और हमारी डिजाइनिंग क्षमता को एक-दूसरे से जोड़ा जा सकता है। वैसे तो हम इस्‍पात के तीसरे सबसे बड़े उत्‍पादक बन गए हैं, लेकिन हमें इसमें अभी व्‍यापक मूल्‍यवर्द्धन करने की जरूरत है। बेहतर उत्‍पाद तैयार करने के लिए आपकी इस्‍पात उत्‍पादन क्षमता और हमारे लौह अयस्‍क भंडार को एक-दूसरे से जोड़ा जा सकता है।

इसी तरह, आपकी जहाज निर्माण क्षमता और हमारे बंदरगाह आधारित विकास का एजेंडा हमारी भागीदारी का एक वाहक बन सकता है। आवास, स्‍मार्ट सिटी, रेलवे स्‍टेशन, जल, परिवहन, रेलवे, समुद्री बंदरगाह, नवीकरणीय सहित ऊर्जा, आईटी संबंधी बुनियादी ढांचा एवं सेवाएं और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स हमारे देश के अत्‍यंत आशाजनक क्षेत्र हैं। भारत और कोरिया इस क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं। हमारी साझेदारी में क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ एशिया में प्रगति, स्‍थायि‍त्‍व और समृद्धि को बढ़ावा देने की व्‍यापक गुंजाइश है। भारत व्‍यापक आर्थिक साझेदारी के लिए पूरब की ओर उन्‍मुख हो रहा है। इसी तरह, दक्षिण कोरिया अपने विदेशी बाजारों में विविधता लाने के लिए प्रयासरत है।

आपसी साझेदारी बढ़ाने से दोनों ही देश लाभान्वित होंगे। भारत एक विशाल एवं उभरता बाजार है। यह मध्‍य-पूर्व और अफ्रीकी बाजारों में अपनी पैठ मजबूत करने की दृष्टि से कोरियाई कारोबारी जगत के लिए एक पुल की भूमिका भी निभा सकता है। आपको यह संभवत: स्‍मरण होगा कि मेरी कोरिया यात्रा के दौरान एक मार्गदर्शक एजेंसी की जरूरत महसूस की गई थी। यह घोषणा की गई थी कि भारत में कोरियाई निवेश के लिए एक समर्पित टीम का गठन किया जाएगा। तदनुसार, जून 2016 में ‘कोरिया प्‍लस’ का गठन किया गया। ‘कोरिया प्‍लस’ को भारत में कोरियाई निवेश को बढ़ावा देने, सुविधाजनक बनाने और इसे बनाए रखने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। इसकी परिकल्‍पना भारत में कोरियाई निवशकों के लिए प्रथम संदर्भ स्‍थल के रूप में की गई है। ‘कोरिया प्‍लस’ ने लगभग दो वर्षों की छोटी सी अवधि में 100 से भी ज्‍यादा कोरियाई निवेशकों को आवश्‍यक मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह कोरियाई कंपनियों के सम्‍पूर्ण निवेश चक्र में एक साझेदार की भूमिका निभाता है। यह कोरिया के लोगों एवं कंपनियों, विचारों और निवेश का स्‍वागत करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मित्रों !

मैं यह कहते हुए अपने संबोधन का समापन करना चाहूंगा कि भारत अब बिजनेस करने के लिए तैयार है। भारत अब उद्यम के लिए एक खुला गंतव्‍य है। आपको विश्‍व भर में कहीं भी इस तरह का एक खुला एवं बढ़ता बाजार नहीं मिलेगा। मैं आपको फिर से विश्वास दिलाता हूं कि आपके निवेश को प्रोत्‍साहन एवं संरक्षण के लिए जो भी चीज चाहिए उसे यहां सुनिश्चित किया जाएगा क्‍योंकि हम अपनी अर्थव्‍यवस्‍था में आपकी भागीदारी और योगदान को विशेष महत्व देते हैं। व्‍यक्तिगत स्‍तर पर भी मैं आवश्‍यकता पड़ने पर अपनी ओर से पूर्ण सहायता देने का आश्‍वासन देता हूं।

धन्‍यवाद!

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More