देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बायफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउण्डेशन से प्रदेश के 13 जिलों के लिये कृषि, बागवानी, वानिकी, फल उत्पादन, पशुधन विकास एवं जल संवर्धन से सम्बंधित योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग की अपेक्षा की है। प्रारम्भिक तौर पर अल्मोड़ा जनपद को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लिया जाय, इसकी विस्तृत रूप रेखा एक माह में तैयार कर प्रस्तुत करने के भी उन्होने निर्देश दिये इसके लिये वित्तीय सहायता नार्बाड द्वारा भी उपलब्ध करायी जायेगी।
बीजापुर अतिथि गृह में नार्बाड एवं बायफ (BAIF) के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में उन्होने कहा कि छोटे एवं गरीब किसानों को लक्षित करते हुए खेती की ओर प्रेरित करने के लिये इससे सम्बंधित योजनाओं को और अधिक व्यवहारिक बनाते हुए कार्ययोजना बनाई जाय, उन्होने कहा कि गांवों में कृषि बागवानी, पशुधन एवं दुग्ध उत्पादन एवं जल सम्वर्धन से सम्बंधित योजनाओं के क्रियान्वयन से ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूती मिलेगी। गांवो से पलायन रूकेगा। उन्होने कहा कि चारा प्रजाति के वृक्षा रोपण से चारे की कमी दूर होगी तथा पशुपालन व्यवसाय को और अधिक लोग अपनायेंगे। दुग्ध उत्पादन भी इससे बढेगा। प्रति लीटर 6 रूपए महिला डेरी को सब्सिडी देने से भी दुग्ध उत्पादन बढ़ा है। उन्होने बायफ से उनके द्वारा नाबार्ड के सहयोग से सभावाला देहरादून के जनजाति ग्रामों में चलाये जा रहे कार्यक्रमों की भांति ही प्रदेश के अन्य जनपदों के लिये कार्ययोजना बनाने को कहा। उन्होने कहा कि जिन ग्रामों में उनके द्वारा कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है उनमें प्रति परिवार 5-5 अमरूद के पेड उनके द्वारा उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होने वायफ से अखरोट के पैड़ो की नर्सरी भी विकसित करने को कहा ताकि अधिक से अधिक पेड़ लगाये जा सके, इसके लिये भी प्रति पेड़ 400 रू0 बोनस के रूप में सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे है। उन्होने इसके लिये कुछ माडल विलेज भी तैयार करने को कहा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने ग्रामीण विकास से जुडी इन योजनाओं के लिये विकास खण्ड वार गांवो का कलस्टर बनाने को कहा ताकि अधिक से अधिक आबादी इससे लाभान्वित हो सके। वायफ द्वारा संचालित कार्यक्रमों का पर्यवेक्षण भी नाबार्ड द्वारा किया जाये ताकि योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल सके इसके लिये एम.ओ.यू की भी व्यवस्था के निर्देश उन्होने दिये।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री श्री रावत ने नाबार्ड द्वारा सड़क, पुल व ग्रामीण सड़क निर्माण, सिंचाई, तकनीकि शिक्षा, ग्रामीण विकास, उर्जा कृषि विकास से सम्बंधित योजनाओं के लिये किये जा रहे वित्तीय पोषण की स्थिती की भी जानकारी प्राप्त की। उन्होने नाबार्ड से वर्ष 2015-16 में पेयजल के क्षेत्र में 600 करोड़, लोक निर्माण के लिये 500 करोड़, औद्योगिक विकास के लिये 150 करोड़, ग्रामीण सड़कों व जल निकासी की योजनाओं के लिये वांछित 300 करोड़ की वित्तीय सहायता पर भी चर्चा की, इस सम्बंध में सम्बंधित विभागों के साथ अलग से बैठक के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
इस अवसर पर नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक सी.पी.मोहन, डीजीएम एच.के.सवलानिया वायफ के कार्यकारी उपाध्यक्ष रमेश रावल, अपर मुख्य कार्यक्रम संयोजक आर.एम.शुक्ला, मुख्यमंत्री के सलाहकार डा. संजय चैधरी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।