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42वें सिविल लेखा दिवस पर वित्‍त मंत्री ने जीपीएफ तथा ईपीएफओ मोड्यूल का उद्घाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्लीः केंद्रीय वित्‍त तथा कार्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार की अपनी लेखा पद्धति की प्रतिबद्धता पर कभी भी कोई सवाल नहीं उठना चाहिए। आज राष्‍ट्रीय राजधानी में 42वें सिविल लेखा दिवस समारोह पर उद्घाटन भाषण के दौरान वित्‍त मंत्री ने कहा कि जहां सरकारी विभाग पर्याप्‍त शुद्धता से काम कर सकते है वहीं लेखा विभाग ऐसा है जिसमें कोई गलती स्‍वीकार्य नहीं हो सकती क्‍योंकि एक छोटी सी गलती गहरी छाप छोड़ सकती है। उन्‍होंने आगे कहा कि लेखा गलती मुक्‍त होना चाहिए क्‍योंकि सरकार सार्वजनिक वित्‍त की स्थिति से राष्‍ट्र को अवगत कराती है। अत: वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि काम की शुचिता महत्‍वपूर्ण है तथा इसमें उच्‍च दर्जे की कुशलता होती है जो सरकार की निष्‍ठा बढ़ाती है। उन्‍होंने कहा कि लेखा प्रणाली पर कभी सवाल नहीं उठने चाहिए तथा इस मामले में वह प्रसन्‍न हैं कि वर्षों से लेखा प्रणाली तथा संगठन की शुचिता तथा विश्‍वसनीयता बरकरार रखी गई है।

वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने महालेखा नियंत्रक, संगठन तथा विशेष रूप से भारतीय सिविल लेखा सेवा द्वारा नियोजित प्रौद्योगिकी तथा उपकरणों के कारगर उपयोग की प्रशंसा की जिससे यह बदलाव संभव हो पाया है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस उपयोग से सरकार के प्रत्‍येक रुपए की गणना हो जाती है तथा इसकी निगरानी की जा सकती है जिससे सरकार के समग्र कुशलता बढ़ती है तथा इससे सरकारी धन का कारगर उपयोग हो पाता है। वित्‍त मंत्री ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि लेखा प्रणाली जीएसटी नेटवर्क, भारतीय रिजर्व बैंक तथा बैंकों के साथ पूर्णत: एकीकृत की गई है जो सीजीएसटी, एसजीएसटी तथा आईजीएसटी आदि की वसूली संबंधी रिपोर्ट समय पर संकलित करने में महत्‍वपूर्ण संसाधन है। वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने इस पर भी संतोष व्‍यक्‍त किया कि भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएस) महत्‍वपूर्ण बदलाव लाने में सफल रही है तथा उनका सरकारी कामकाज में बदलाव लाने में महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है।

इस अवसर पर वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पीएफएमएस के केंद्रीयकृत जीपी फंड मोड्यूल तथा पेंशन मामलों की शुरू से आखिर तक पूरी इलैक्‍ट्रोनिक प्रक्रिया के लिए पीएफएमएस के ईपीपीओ मोड्यूल का उद्घाटन भी किया।

केंद्रीयकृत जीपीएफ मोड्यूल से केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की अद्वितीय कर्मचारी पहचान (आईडी) से जीपीएफ खाते तैयार करने की लंबे समय से की जा रही मांग पूरी हुई है जिससे जीपीएफ अग्रिम तथा निकासी के ऑनलाइन आवेदन तथा कर्मचारी के चालू जीपीएफ देय की ऑनलाइन जानकारी की सुविधा हो पाई है। इस मोड्यूल से जीपीएफ लेखों तथा देयों का अन्‍तरण सुचारू हो जाएगा। फिलहाल ईपीपीओ में पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग की भविष्‍य एप्‍लीकेशन तथा पेंशन की समेकित प्रक्रिया हेतु पीएफएमएस के साथ सीपीएओ की पारस एप्‍लीकेशन शामिल हैं जिससे हाथ से किए जाने वाले काम में होने वाले विलंब तथा गलतियों से छुटकारा मिलेगा।

श्री अजय नारायण झा, सचिव (व्‍यय), वित्‍त मंत्रालय, श्री रजनीश कुमार, अध्‍यक्ष, भारतीय स्‍टेट बैंक, श्री एंथनी लियनजुआला, महालेखा नियंत्रक (सीजीए) तथा वित्‍त मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।

भूमिका :

     केंद्र सरकार ने 1976 में सार्वजनिक वित्‍तीय प्रबंधन में बहुत बड़े सुधार की पहल की। नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक को केंद्र सरकार के लेखें तैयार करने की जिम्‍मेदारी से मुक्‍त करने के लिए लेखा परीक्षा तथा लेखा कार्य अलग कर दिए गए। लेखा कार्य सीधे कार्यकारी के नियंत्रणाधीन लाया गया। परिणामस्‍वरूप, भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएएस) की स्‍थापना की गई। आईसीएएस का गठन भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखा सेवा (आईए तथा एएस) में से प्रारम्‍भ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्‍य, शक्तियां तथा सेवा शर्तें) संशोधन अधिनियम, 1976 में संशोधन के लिए अध्‍यादेश जारी करके किया गया। बाद में, संसद द्वारा संघीय लेखा विभागीकरण (कार्मिक स्‍थानांतरण) अधिनियम, 1976 पारित किया गया और 8 अप्रैल, 1976 को भारत के माननीय राष्‍ट्रपति जी ने इसको अपनी स्‍वीकृति प्रदान की। अधिनियम 01 मार्च, 1976 से लागू माना गया। तदनुसार, आईसीएएस प्रति वर्ष 1 मार्च को ‘सिविल लेखा दिवस’ के रूप में मनाता है। आईसीएएस के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक इसका बहुत विस्तार हुआ है और अब यह केंद्र सरकार की सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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