नई दिल्ली: केन्द्रीय कोयला, विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि देश में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2022 तक 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के उत्पादन लक्ष्य को एक मिशन के रूप में माना जाना चाहिए।
आज विज्ञान भवन में ग्रिड से जुड़ी सौर छत पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने यह भी कहा कि भारत सरकार सभी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर तरह-तरह के विचारों एवं रचनात्मक आलोचना को आमंत्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया चाहे कितनी भी क्यों न हो वह मंत्रालय को यह लक्ष्य पाने के उसके सपने से डिगा नहीं सकती है। मंत्री ने सभी सहभागियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि देश में ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिए प्रत्येक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना की जटिलताओं पर पहले ही गौर कर लिया गया है। मंत्री ने इस अवसर पर सौर छत पीवी विद्युत परियोजनाओं के लिए इरेडा की ऋण योजना का शुभारंभ भी किया। इस योजना के तहत प्रणाली से जुड़े संग्राहकों और डेवलपरों को 9.9 से लेकर 10.75 फीसदी तक की ब्याज दर पर कर्ज दिया जाएगा।
इस अवसर पर कैबिनेट सचिव प्रदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत में सौर छत परियोजनाओं के लिए आपार संभावनाएं हैं, जिनका फिलहाल दोहन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सूचित किया कि भारत सरकार ने देश में ग्रिड से जुड़ी 100,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, जिनमें से 40000 मेगावाट की प्राप्ति सौर छत प्रणालियों से होगी। श्री सिन्हा ने कहा कि इसे पाने के लिए हमें नीतिगत एवं नियामकीय हस्तक्षेप करने होंगे। विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय दोनों ही इस दिशा में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य नियामकों को उस आरई के शुल्क का निर्धारण करना होगा जो ग्रिड में जाती है। श्री सिन्हा ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम को लोकप्रिय करने के दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कारक है। नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विद्युत मंत्रालय द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि नवीकरणीय उत्पादन प्रतिबद्धता की व्यवस्था करने के लिए विद्युत अधिनियम संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, शुल्क (टैरिफ) नीति में नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिबद्धता बढ़ाने का यह प्रस्ताव है। इतना ही नहीं, उल्लंघन करने पर कठोर अर्थदंड लगाने का भी प्रस्ताव किया जा रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए श्री सिन्हा ने राज्यों को नवीकरणीय क्षमता में बेहतरी के लिए अपने प्रदेश के भीतर पारेषण की समाजीकृत लागत तय करने का सुझाव दिया।
एमएनआरई सचिव श्री उपेन्द्र त्रिपाठी ने अपने स्वागत भाषण में राज्यों/मंत्रालयों/विभागों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें मेगावाट से गीगावाट के संक्रमण काल में भागीदार बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक 175 जीडब्ल्यू (गीगावाट) नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य काफी चुनौतीपूर्ण है और इसे हासिल करने के लिए उसमें सभी की मदद की जरूरत है। 175 जीडब्ल्यू (गीगावाट) नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य में 100 जीडब्ल्यू सौर उर्जा शामिल है, जिसमें से 40 जीडब्ल्यू की प्राप्ति सौर छतों से की जाएगी। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में और ज्यादा पूंजी की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए श्री त्रिपाठी ने कहा कि मंत्रालय को छतों के लिए 5000 करोड़ रुपये का कोष प्राप्त हुआ है, जिसे ब्याज रियायत अथवा 15 फीसदी ब्याज सब्सिडी के रूप में दिया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय छतों से जुड़ी परियोजनाओं के लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से दो अरब डॉलर पाने की कोशिश कर रहा है, जिसे बैंकों के हवाले किया जा सकता है ताकि वे निम्न ब्याज दरों पर एजेंसियों को परियोजनाओं के लिए वित्त मुहैया करा सकें। श्री त्रिपाठी ने यह भी कहा कि मंत्रालय को 10 लाख यूरो के लिए केएफडब्ल्यू से प्रतिबद्धता प्राप्त हुई है। इसी तरह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए और ज्यादा पूंजी पाने के वास्ते विभिन्न एजेंसियों के साथ बातचीत की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय द्वारा किये गये एक छोटे सर्वेक्षण के मुताबिक 1500 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं को सरकारी विभागों की छतों पर डाला जा सकता है।
कार्यशाला में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि वितरण कंपनियों को नेट-मीटरिंग/फीड-इन-टैरिफ, ग्रिड कनेक्टिविटी एवं मीटर की व्यवस्थाओं से जुड़े नियमों को लागू करना चाहिए और इसके साथ ही देश में सौर छतों को बढ़ावा देने के लिए एक उपयुक्त एवं सरल व्यवस्था विकसित करनी चाहिए। एमएनआरई ने भारत सरकार के हर मंत्रालय को 1 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया कराई है, ताकि उसकी छतों/भूमि के साथ-साथ उनसे जुड़े संस्थानों में भी न्यूनतम 1 मेगावाट के सौर संयंत्र लगाए जा सकें। कार्यशाला में शानदार कामयाबी से जुड़ी कुछ गाथाओं का भी उल्लेख किया गया। इनमें चंडीगढ़ सोलर सिटी और दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) से जुड़ी सफलता की गाथाएं भी शामिल हैं। इस दौरान भारत सरकार के सौर ऊर्जा कार्यक्रमों की समीक्षा की गई और इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी अन्य तकनीकों एवं कार्यक्रमों पर विशेष सत्र मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए। इनमें लघु पनबिजली, बायोमास पावर, खोई का सह उत्पादन, एसएडीपी, पवन ऊर्जा, आरपीओ/आरईसी, बेहतर कुक स्टोव, एचआरडी, बायोगैस और जैव ईंधनों पर आयोजित सत्र शामिल हैं।