लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापारियों के हित में आनलाइन पंजीकरण एवं व्यापार संबंधी मामलों हेतु प्रदेश में 250 सुविधा केन्द्रों की स्थापना की है। उक्त सुविधा केन्द्रों अथवा अपने घर बैठे ही व्यापारी कम्प्यूटर के माध्यम से आनलाइन व्यापार एवं वाणिज्यकर संबंधी अपेक्षित प्रपत्रों आदि को भरकर भेज सकतें हैं। इससे व्यापारियों को अब अनावश्यक रूप से भाग दौड़ नहीं करनी पडे़गी।
यह जानकारी वाणिज्यकर कमिश्नर श्री मृत्युंजय कुमार नारायण ने देते हुए बताया कि सरकार 25 लाख रु0 तक के वार्षिक टर्नोवर वाले व्यापारियों को बडी़ राहत देते हुए सीमित संख्या में कर निर्धारित करने के प्राविधान कर दिए है। अब केवल पारदर्शिता पूर्ण प्रक्रिया द्वारा चयनित वादों की ही सुनवाई करके आदेश पारित किए जायेंगे। शेष व्यापारी स्वतः ही कर निर्धारित माने जायेंगे।
वाणिज्यकर आयुक्त ने बताया कि प्रान्त के बाहर से माल लाने पर अर्थदण्ड को कम करते हुए, माल के मूल्य के 40 प्रतिशत की वर्तमान व्यवस्था के स्थान पर 05 प्रतिशत तक कर की दर वाली वस्तुओं पर 15 प्रतिशत तथा 12.5 प्रतिशत $ अतिरिक्त कर की वस्तुओं पर देय कर का दुगना अर्थदण्ड लगाने का प्राविधान कर दिया गया है। व्यापारियों द्वारा दाखिल की जाने वाली वार्षिक विवरणी फार्म-26 को समाप्त करके इसके स्थान पर समेकित विषयों की नई व्यवस्था प्राविधानित कर दी गई है।
कमिश्नर ने बताया कि फार्म-38 के शुल्क को 50 रुपये से घटाकर मात्र 05 रुपये प्रतिफार्म शुल्क निर्धारित किया गया है। फर्म स्वामी/व्यापारी की मुत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी उस व्यापार को पुराने टिनपर निर्बाध गति से चला सकेंगे। उन्हेंऐसे व्यापार के संबंध में स्टाक पर आई0टी0सी0 का लाभ भी स्वतः ही मिल सके, इसके लिए एक्ट में संशोधन कर दिया गया है। समाधान योजना अपनाने वाले व्यापारियों द्वारा अपंजीकृत व्यापारियों से खरीद किए जाने पर कर देयता को भी समाप्त कर दिया गया है। इसके लिए भी अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर दिया गया है।
कमिश्नर ने बताया कि व्यापारियों के द्वार पर ही पंजीयन सुविधा लागू की गई है। निर्गत पंजीयन में आनलाइन संशोधन की सुविधा भी प्रदान कर दी गई है। व्यापारी घर बैठे ही आनलाईन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके पंजीयन प्राप्त कर सकते है तथा ऐसे पंजीयन में संशोधन भी करा सकते हैं।