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आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
देहरादून: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिये इस वर्ष 100 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि प्रदान की जायेगी। राज्य व जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्रों व जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरणों के लिये आवश्यक पदों का सृजन किया जायेगा।

यह निर्णय शुक्रवार को बीजापुर अतिथि गृह में मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में आयोजित राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की बैठक में लिया गया। बैठक में वर्ष 2014-15 व 2015-16 में पीएमयू, विश्व बैंक, एडीबी द्वारा वित्त पोषित विभिन्न योजनाओं के अधीन किये गये व्यय को भी स्वीकृति प्रदान की गई।
बैठक में एस.सी.ए.आर के अन्तर्गत विभिन्न विभागों द्वारा किये जा रहे पुननिर्माण कार्यो की भी समीक्षा की गई तथा इस मद मे भी वर्ष 2014-15 व 2015-16 के लिए स्वीकृत की गई धनराशि को भी स्वीकृति दी गई। इसके अतिरिक्त आपदा जोखिम न्यूनीकरण को विभागीय योजनाओं में शामिल करने पर भी सहमति बनी, इसके लिये सभी सम्बंधित विभाग अपनी कार्ययोजना तैयार करेंगे तथा इसे वार्षिक योजना तथा वार्षिक बजट में सम्मिलित करेंगे।
वर्ष 2015 में अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से फसलों को हुई क्षति के सम्बंध में राज्य के समस्त जनपदों को कृषि इनपुट सब्सिडी मद में राज्य आपदा मोचन निधि से दी गई, 40 करोड़ की धनराशि को भी मंजूरी दी गई। आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में पुननिर्माण कार्यो के लिये रूद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ में गठित पी.आई.यू के अतिरिक्त हर्षिल कपकोट व जोशीमठ से आगे के क्षेत्रों में पुननिर्माण कार्य कराये जाने हेतु डी.डी.एम.ए को पी.आई.यू के रूप में गठित किये जाने की भी मंजूरी दी गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ए.डी.बी द्वारा संचालित किये जा रहे पुननिर्माण कार्यो में गुणवता का विशेष ध्यान रखा जाये। ए.डी.बी के वर्क कल्चर में सुधार लाने की जरूरत जनप्रतिनिधियों द्वारा भी महसूस की जा रही है। विभाग इसके लिये प्रभावी प्रक्रिया लागू करे ताकि कार्य सत्तोषजनक ढंग से गुणवता के साथ समय मे पूरे हो। निर्माण कार्यो के प्रति जिम्मेदारी निर्धारित हो। उन्होने कहा कि एस.डी.आर.एफ के साथ ही सेना पुलिस नागरिक सुरक्षा युवक मंगल दलों का आपदा के समय आपसी तालमेल हो। एसडीआरएफ ग्रामीण क्षेत्रों में भी आपदा से बचाव का प्रशिक्षण की व्यवस्था करें। संचार सुविधा के लिये सेटलाईट फोन आदि की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाय। स्कूलों व मास गेदरिंग वाले स्थलों व लाईफ लाइन भवनों को भूंकपरोधी तकनीकि के अधीन लाने की भी योजना बनायी जाय।
जंगलो को आग से बचाने के भी उपाय इसके अधीन हो, उन्होने कहा कि बरसात को देखते हुए जुलाई व अगस्त माह में आपदा प्रबन्धन व शिक्षा विभाग आपस में तालमेल बनाये ताकि आपात स्थिति में स्कूलों को बन्द रखा जा सके।
बैठक में केबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, मंत्री प्रसाद नैथानी, आपदा प्रबन्धन सलाहकार समिति उपाध्यक्ष प्रयाग भट्ट, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव राधा रतूडी, उमाकान्त पंवार, सचिव अमित नेगी, प्रभारी सचिव आपदा प्रबन्धन आर.मीनाक्षी सुन्दरम, पुलिस महानिदेशक बी.एस.सिद्धु सहित सेना, पुलिस, बीआरओ व आईटीबीपी तथा शासन के अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

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