देहरादून: राज्य सरकार पूर्व अर्धसैनिकों को भी वही सुविधाएं देगी जो कि पूर्व सैनिकों को दी जा रही है। देश की रक्षा में अर्धसैनिकों की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका है, जितनी कि सैनिकों की होती है। पुराने रेंजर कालेज में पूर्व अर्धसैनिक बल सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड सैन्य परम्परा का राज्य है। देश के लिए बलिदान देने में हमारे सैनिक व अर्धसैनिक आगे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की सरहदों से लेकर कश्मीर व छत्तीसगढ़ तक हमारे वीर अर्धसैनिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी दक्षता से करते हैं। हमने इस कर्तव्यनिष्ठा का सम्मान करते हुए अर्धसैनिकों के लिए अलग से निदेशालय स्थापित करने का निर्णय लिया है। अर्धसैनिक कल्याण परिषद का भी गठन किया गया है ताकि अर्धसैनिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए शासन से समन्वय हो सके। राज्य सरकार धीरे धीरे अर्धसैनिकों को दी जानेवाली सुविधाओं के लेवल को वहां तक ले जाएगी जितनी कि सैनिकों को दी जाती हैं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि तरक्की व भौतिकता की दौड़ में हम अपने बुजुर्गों को भूलते जा रहे हैं। राज्य सरकार ने बुजुर्गों के सम्मान को प्राथमिकता देते हुए वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद का गठन किया है। ‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ योजना प्रारम्भ की गई है। हम सीनियर सिटीजन पार्क भी विकसित कर रहे हैं।
इस अवसर पर अर्धसैनिक कल्याण परिषद के अध्यक्ष बलराम सिंह नेगी, एसएस कोटियाल, डीएस फर्सवाण, एसएस भण्डारी सहित बड़ी संख्या में पूर्व अर्धसैनिक उपस्थित थे।