लखनऊ: आयुक्त, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग श्री संजय भूसरेड्डी ने गन्ना किसानों को सलाह दी है कि वे वर्तमान बंसतकालीन बुवाई में स्वीकृत गन्ना प्रजातियों का ही प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि स्वीकृत प्रजातियां अधिक उपज तथा अधिक परता देने वाली होती हैं, जो किसान व चीनी मिल दोनों के लिए लाभदायक साबित होंगी। उन्होंने किसान भाइयों से अस्वीकृत प्रजातियों की बुवाई कदापि न करने की अपील भी की है।
आयुक्त ने बताया कि अस्वीकृत प्रजातियों में बीमारी लगने की अधिक सम्भावना होती है। अस्वीकृत प्रजातियों का गन्ना भी कम मूल्य पर खरीदा जाता है जिसके परिणाम स्वरूप किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश के लिए शीघ्र पकने वाली 13 प्रजातियों एवं देर से पकने वाली 15 गन्ना प्रजातियों को बुवाई हेतु स्वीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के पूर्वी, मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्र के लिए भी अलग-अलग विभिन्न प्रजातियों की स्वीकृति प्रदान की गई है। शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में को.-0238, को.-0118, को.एल.के.-94184ए को.शा.-8272ए को.शा.-13231 तथा यू.पी.-05125 हैं, जबकि को.शा.-09232, को.शा.-8289, को.शा.-12232, को.शा.-97261, को.शा.-01434, को.शा.-11453 तथा यू.पी.-0097 आदि मध्य देर से पकने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं।
श्री भूसरेड्डी ने बताया कि अस्वीकृत गन्ना प्रजातियां कम गन्ना उपज एवं कम चीनी परता देने वाली होती हैं। इन प्रजातियों में कीट व रोग का अधिक प्रकोप होता है तथा इनमें रेड-राट रोग लगने की संभावना अधिक होती है। इनकी खरीद दर भी स्वीकृत प्रजातियों से 20 रुपये प्रति कुंटल कम है। कम उपज तथा कम खरीद मूल्य दर की वजह से यह प्रजातियां किसानों के लिए काफी नुकसानदायक हैं। उन्होंने गन्ना किसानों को अस्वीकृत प्रजातियों को.-0233, को.शा.-92423, को.शा.- 91269, को.एल.के.-8102, को.-1148, बी.ओ.-91 आदि की कदापि बुवाई न करने हेतु सचेत किया है।
आयुक्त ने बताया कि किसानों की आय में वृद्धि के लिए विभाग द्वारा वर्तमान बंसतकालीन बुवाई में अधिकाधिक टैंªच विधि से गन्ना बुवाई करने तथा गन्ने के साथ अन्तः फसली दलहन एवं सब्जियों की बुवाई करने की भी सलाह दी गई है। साथ में यह भी बताया गया है कि मृदा परीक्षण के आधार पर संस्तुत पोषक तत्वों को प्रयोग करें तथा गन्ना बीज का गर्म वायु जल संयंत्रों से शोधन कराकर बुवाई करें। विभाग के गन्ना बीज पौधशालाओं में पर्याप्त मात्रा में गन्ना बीज उपलब्ध है, कृषक पौधशालाओं से बीज प्राप्त कर सकते हैं। बसंतकालीन बुवाई में अब तक प्रदेश में 3,16,075 हे. टैंªच विधि से गन्ने की बुवाई तथा 2,48,386 हे. क्षेत्रफल में गन्ने के साथ अंतःफसली खेती की जा चुकी है।