लखनऊ: भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह आयोजित किया गया। समापन समारोह में उ0 प्र0 सहकारी चीनी मिल संघ लि0 के प्रबंध निदेशक डा0 बी0 के0 यादव, मुख्य अतिथि थे।
अपने उद्बोधन भाषण में डा0 बी0के0 यादव ने भविष्य में गन्ना किसानों को समय पर गन्ना भुगतान कैसे हो इस पर गंभीर विचार करने पर जोर दिया तथा इसके लिए पूर्व नियोजन बनाने पर महत्व डाला। वर्तमान में चीनी उद्योग को आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए विविधिकरण को आवश्यक बताया तथा भविष्य में देश के अंदर पेट्रोल में 15-20 प्रतिशत तक की इथनाॅल मिश्रित करने पर जोर दिया। गन्ना से सिर्फ चीनी बनाकर अब चीनी मिलें मुनाफा नहीं कमा सकता, अन्य उत्पादों जैसे बिजली, इथनाॅल, जैविक खाद इत्यादि के सह उत्पाद कर ही मिलें मुनाफा कमा सकता है। इस अवसर पर डा0 ए0 के0 साह तथा डा0 ओ0 के0 सिन्हा द्वारा संकलित एवं सम्पादित गन्ना उत्पादन तकनीक विषय पर पुस्तक का विमोचन माननीय मुख्य अतिथि द्वारा किया गया।
संस्थान के निदेशक डा0 ओ0 के0 सिन्हा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि गन्ना के खोई से 2-जी इथनाॅल का उत्पादन चीनी मिलों के लिए वरदान साबित हो सकता है। अगर इथनाॅल की माँग बढ़ती है तो चुकन्दर की खेती गन्ना के साथ सह-फसली के रूप में करके ज्यादा मात्रा में इथनाॅल बनाया जा सकता है। अगर 2017 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथनाॅल मिश्रण के लक्ष्य को पाना है तो अभी से इस दिशा में तीव्र गति से कार्य करने की जरूरत है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी डा0 ए0 के0 साह ने अपने उद्बोधन में बताया कि चीनी मिल के प्रतिनिधियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को उत्कृष्ट बताते हुए भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कराने का आग्रह किया। डा0 साह ने बताया कि इस कार्यक्रम में कुल 14 चीनी मिलों के 16 गन्ना अधिकारियों ने भाग लिया तथा आज सभी को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। प्रशिक्षित गन्ना अधिकारी चीनी मिल क्षेत्र में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान का राजदूत बनकर वैज्ञानिक तकनीकों के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देगें।