देहरादून: हिमगिरी जी यूनीवर्सिटी मैं साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया. इस मौके पर मुख्य अथिति के तौर पर साहित्य अकादमी पुरूस्कार विजेता कवी मंगलेश डबराल मोजूद रहे. कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. अथितियों मैं गढ़वाली लोक कला एवं साहित्य के विशेषज्ञ नंदकिशोर हटवाल, सुभाष तरान, गणेश सैली एवं वरिष्ठ पत्रकार जसकिरण चोपड़ा मौजूद रहे.
अपने संबोधन मैं यूनीवर्सिटी के कुलपति डाक्टर राकेश रंजन ने साहित्य की महत्वता पर बल देते हुए कहा की बगैर कला एवं साहित्य मानव जीवन की कल्पना करना बेईमानी है. साथ ही उन्होंने छात्र छात्राओं से आह्वान किया वे नए दौर मैं साहित्य के नए प्रतिमान स्थापित करें और पूरे विश्व मैं भारत की विशिष्ट पहचान बनाने मैं अपना अथक प्रयास लगायें.
कार्यक्रम के मुख्य अथिति कवी मंगलेश डबराल ने हिंदी कविता का कबीर के दौर से लेकर वर्तमान समय तक का सिंहावलोकन किया और बताया की किस प्रकार भारत जैसे देश मैं हिंदी के साथ साथ तमिल तेलुगु बंगाली मलयाली ओडिया और अन्य सभी भाषाओँ और बोलियों ने राष्ट्र निर्माण मैं अभूतपूर्व योगदान दिया है. उन्होंने अपने भाषण मैं दोहराया की किस प्रकार साहित्य एवं कविता हाशिये पर खड़े समुदायों की आवाज बनता रहा है.
इसके पश्चात ‘साहित्य सृजन में पहाड़ों की भूमिका’ पर एक पैनल डिस्कसन आयोजित किया गया. जिसकी संचालक वरिष्ठ पत्रकार जसकिरण चोपड़ा रहीं. कवी सुभाष तरान ने कहा की आप किस प्रकार लोक एवं पहाड़ी लोक का संसार आज कविता के माध्यम से दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुँच चूका है.फोटोग्राफर एवं लेखक गणेश सैली ने अपनी खुद की कहानी बयां करते करते उनके जीवन मैं पहाड़ के योगदान पर प्रकाश डाला. चाँचडी झमाको जैसी प्रसिद्द किताब लिख चुके नन्द किशोर हटवाल ने बताया की किस प्रकार पारंपरिक रिवाजों ने लोक साहित्य को समृद्ध किया है.
इसके पश्चात रचनात्मक साहित्य लेखन पर देहरादून के वरिष्ठ साहित्यकार अपूर्व कला ने छात्र छात्राओं के बीच कार्यशाला का आयोजन किया. इसके अतरिक्त दिल्ली से आये व्यंग्यकार आशुतोष उज्जवल एवं आदित्य नवोदित ने अपनी टीप से वर्तमान राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं पर चुटकियाँ ली. कैप्टन कुणाल उनियाल ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
छात्र छात्राओं ने मेरी रचना प्रतियोगिता के तहत अपनी अपनी कविताओं का पाठ भी किया। इस मौके पर यूनीवर्सिटी के मुख्य वित्त नियंत्रक अंतरदीप सिंह, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी विष्णु माथुर, डीन प्रोफेसर सतीश कुलकर्णी, डीन शरद पाण्डे, डीन सुबोध चैधरी एवं सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं शिक्षक मौजूद थे. कार्यक्रम को संपन्न कराने में डाकटर नरेन्द्र कौशिक, अंकिता उनियाल, संजीव कुमार, कैलाश कंडवाल, प्रियंका गोस्वामी, दीपिका घिल्डियाल इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.