आधार कार्ड की गोपनीयता को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट भी सरकार से डाटा लीक पर लगातार सवाल कर रही है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इ मामले पर सुनवाई करते हुए आधार कार्ड में दर्ज जानकारी के सुरक्षित होने को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार का डाटा लीक होने से चुनाव के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। पिछले हफ्ते सर्वोच्च अदालत ने 1.3 अरब भारतीयों के डेटा के संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंता व्यक्त की थी। इस पर यूआईडीएआई ने कहा था कि ‘आधार डाटा परमाणु बम नहीं है।’
आपको बता दें कि अमेरिकी चुनाव में फेसबुक डाटा के इस्तेमाल पर भारी विवाद दुनिया के सामने आया था। इसको आधार मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड के डेटा को लेकर चिंता व्यक्त की थी। पांच जजो वाली संविधान पीठ ने कहा कि देश में कोई डेटा सुरक्षा कानून नहीं है, ऐसे में लोगों का डेटा सुरक्षित है यह कैसे कहा जा सकता है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि कोर्ट को एक बेहतर वजह बताई जाए जिससे आधार को सभी सेवाओं के लिए अनिवार्य बनाने के कदम को अनुमति दे दी जाए।
जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ये वास्तविक आशंका है कि उपलब्ध आंकड़े किसी देश के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। यदि आधार डेटा का इस्तेमाल चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए किया जाता है, तो क्या लोकतंत्र बच सकेगा? जस्टिस चंद्रचूड पांच सदस्यी पीठ के सदस्य हैं। जो संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 27 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि डेटा संरक्षण कानून की अनुपस्थिति में उपलब्ध सुरक्षित उपायों की प्रकृति क्या है? ये समस्याएं लक्षणकारी नहीं है बल्कि वास्तविक हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा, ‘वास्तविकता से हम आंखे नहीं मूंद सकते है, क्योंकि हम एक कानून लाने जा रहे हैं जो भविष्य को प्रभावित करेगा।’ वहीं सुनवाई के दौरानयूआईडीएआई की तरफ से राकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रोद्योगिकी आगे बढ़ रही है और हमारे पास तकनीकी विकास की सीमाएं हैं। वेरिफिकेशन के लिए मांगे जाने वाले डेटा को साझा होने का कोई डर नहीं है।इस तरह का डर याचिकाकर्ताओं की तरफ से फैलाया हुआ डर मात्र है। (oneindia)