नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र की अध्यक्षता में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कमजोर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को फिर से पूंजीकृत करने की योजना को अगले तीन वर्षों यानी 2016-17 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी।
कमजोर ग्रामीण क्षेत्रीय बैंक 9 प्रतिशत जोखिम बोझ परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) बनाए रखने के लिए न्यून्तम पूंजी नहीं जुटा पा रहे है। इस निर्णय से बैंकों को अनुपात में सुधार करने में मदद मिलेगी।
एक मजबूत पूंजी ढांचा तथा सीआरएआर का न्यून्तम आवश्यक स्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थिरता सुनिश्चत करेगा और बैकों को वित्तीय समावेशन तथा ग्रामीण क्षेत्रों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्माण में सहायक होगा।
फिलहाल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुन:पूंजीकरण के लिए 15 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान है। इस योजना के विस्तार की मंजूरी के बाद और आवश्यक धन का अनुरोध पूरक मांगों में किया जाएगा।
संदर्भ:
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम 1976 के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना सहकारी ऋण ढांचे का विकल्प बनाने तथा ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए पर्याप्त संस्थागत ऋण सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का संयुक्त स्वामित्व भारत सरकार, संबद्ध राज्य सरकार और प्रायोजित बैंकों के पास है। इन बैंकों में क्रमश: भारत सरकार की 50 प्रतिशत पूंजी, राज्य सरकार की 15 प्रतिशत पूंजी और संबद्ध बैंक की 15 प्रतिशत पूंजी है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का जोखिम परिसंपत्ति अनुपात कमसे कम 9 प्रतिशत पर लाने के लिए डॉ. केवी चक्रवर्ती समिति ने 21 राज्यों के 40 ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों को 2,200 करोड़ रूपए तक पुन:पूंजीकरण की सिफारिश की थी। पुन:पूंजीकरण की प्रक्रिया 2010-11 में शुरू हुई। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में राज्य सरकारों का हिस्सा जारी न होने के कारण केंद्र सरकार के हिस्से को जारी नहीं किया जा सका। इसलिए पुन: पूंजीकरण योजना 31 मार्च, 2014 तक बढा दी गई। केंद्रीय मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक सहित 39 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको को 31 मार्च 2014 तक 1086.70 करोड़ रूपए की कुल राशि जारी की गई।