देहरादून: विधान सभा परिसर, देहरादून में उत्तराखण्ड विधान सभा की संस्कृत भाषा प्रोत्साहन समिति की प्रथम बैठक में उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने शिरकत की। इस मौके पर समिति के सभापति डा0 प्रेम सिंह राणा एवं समिति के सदस्य विनोद चमोली व भरत चौधरी उपस्थित थे।
इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रोत्साहन हेतु इस समिति का गठन हुआ है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की एक शास्त्रीय भाषा है। संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है, संस्कृत एक संस्कृति है, एक संस्कार है; संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की भावना है।
विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि नासा का भी कहना है कि सुपर कम्प्यूटर्स संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे। यूनेस्को ने भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अपनी सूची में संस्कृत वैदिक जाप को जोड़ने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूँ कि समिति के समस्त सदस्य मा0 सभापति महोदय के नेतृत्व में प्रदेश में संस्कृत भाषा के प्रोत्साहन हेतु अपना सहयोग देंगे। यह समिति संस्कृत के प्रोत्साहन के लिए संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण संस्थाओं जैसे उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में स्थल भ्रमण कर सकती है।
इस अवसर पर सभापति डा0 प्रेम सिंह राणा ने विधान सभा अध्यक्ष के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने इतनी महत्वपूर्ण समिति में सभापति के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में संस्कृत भाषा को प्रोत्साहन दिये जाने हेतु इस महत्वपूर्ण समिति के माध्यम से हम अपना बहुमूल्य योगदान देंगे।