नई दिल्लीः यह पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, स्वच्छ भारत मिशन के संज्ञान में आया है कि ‘एसबीएम-जी’ के तहत निर्मित शौचालयों की लागत के कुछ गलत अनुमान सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे हैं और प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इस बारे में जानकारियां दी जा रही हैं।
यह स्पष्ट किया जाता है कि स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत प्रत्येक पात्र लाभार्थी को एक कम लागत, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाले घरेलू शौचालय के निर्माण के लिए प्रोत्साहन/सब्सिडी के रूप में 12,000 रुपये दिए जाते हैं। केंद्र और राज्य इस प्रोत्साहन में 60:40 के अनुपात में योगदान देते हैं। केंद्र राज्यों को अपना हिस्सा जारी कर देता है और इस कार्यक्रम को लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों को दी गई है।
वैसे तो जुड़वां गड्ढे वाले लीच पिट शौचालय की औसत लागत लगभग 12,000 रुपये है, लेकिन यह लागत स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकती है। कुछ मामलों में लाभार्थी बेहतर गुणवत्ता वाले शौचालयों के निर्माण के लिए सरकारी प्रोत्साहन राशि से भी कुछ ज्यादा खर्च कर सकते हैं। अत: यह कहना गलत है कि इसके तहत दिया जाने वाला प्रोत्साहन ‘एक शौचालय की लागत’ के समतुल्य है।
स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ से लेकर अब तक 7 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है और स्वच्छता कवरेज अक्टूबर 2014 के 39 प्रतिशत से दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर आज 82 प्रतिशत से भी अधिक के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।