नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने चीनी सीजन 2017-18 में पेराई किये गये प्रति क्विटंल गन्ने पर 5.50 रुपये की वित्तीय सहायता चीनी मिलों को देने को अपनी मंजूरी दे दी है, ताकि गन्ने की लागत की भरपाई हो सके। इससे चीनी मिलों को किसानों की बकाया गन्ना रकम निपटाने में मदद मिलेगी।
विवरणः
- यह सहायता चीनी मिलों की ओर से सीधे किसानों को दी जाएगी।
- इसका समायोजन विगत वर्षों से संबंधित बकाया रकमों सहित उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के सापेक्ष किसानों को देय गन्ना मूल्य में किया जाएगा।
- इसके बाद भी यदि कुछ राशि शेष रह जाती है तो उसे मिलों के खाते में डाल दिया जाएगा।
इसके तहत सहायता उन मिलों को दी जाएगी जो सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता शर्तों को पूरा करेंगी।
पृष्ठभूमिः
चालू चीनी सीजन 2017-18 के दौरान अनुमानित खपत के सापेक्ष चीनी उत्पादन अधिक रहने के कारण सीजन की शुरुआत से ही घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुस्ती का रुख देखा जा रहा है। बाजार में सुस्ती का माहौल रहने और चीनी की कीमतों के धराशायी हो जाने के कारण चीनी मिलों की तरलता की स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है जिससे गन्ना मूल्य मद में किसानों की बकाया रकम बढ़कर 19,000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है।
चीनी की कीमतों को समुचित स्तर पर स्थिर करने एवं मिलों की तरलता की स्थिति बेहतर करने और इस तरह किसानों की बकाया गन्ना रकम निपटाने में चीनी मिलों को समर्थ करने के उद्देश्य से सरकार ने विगत तीन महीनों के दौरान निम्नलिखित कदम उठाये हैं-
ए) किसानों के हित में चीनी आयात पर सीमा शुल्क को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया।
बी) फरवरी एवं मार्च, 2018 के लिए चीनी उत्पादकों पर रिवर्स स्टॉक होल्डिंग सीमा लागू कर दी गयी।
सी) सरकार ने चीनी उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से चीनी निर्यात पर देय सीमा शुल्क को भी पूरी तरह से वापस ले लिया है, ताकि चीनी निर्यात की संभावनायें तलाशने का काम शुरू किया जा सके।
डी) चीनी उद्योग के यहां जमा तैयार माल के स्टॉक को ध्यान में रखने के साथ-साथ वित्तीय तरलता की प्राप्ति में सुगमता हेतु चीनी सीजन 2017-18 के लिए मिल-वार न्यूनतम संकेतक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) तय किया गया है। चीनी की सभी किस्मों यथा कच्ची, सफेद एवं रिफाइंड चीनी के 20 लाख टन के निर्यात कोटे को चीनी मिलों के बीच यथानुपात निर्धारित किया गया है जिसके लिए परिचालन वाले पिछले दो चीनी सीजनों और वर्तमान सीजन (फरवरी 2018 तक) के दौरान चीनी मिलों के औसत चीनी उत्पादन को ध्यान में रखा गया।
ई) इसके अलावा, चीनी मिलों द्वारा अधिशेष चीनी के निर्यात में सुगमता के साथ-साथ इसे प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने चीनी के संबंध में शुल्क मुक्त आयात अनुमोदन (डीएफआईए) योजना की अनुमति दे दी है।