नई दिल्ली: आपदा जोखिम न्यूनीकरण डेटाबेस के लिए डेटा संबंधी आवश्यकताओं पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आज यहां सफलतापूर्वक संपन्न हो गई। इससे राष्ट्रीय स्तर का एक आपदा डेटाबेस तैयार करने अथवा सृजन का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
स्थानीय स्तर पर प्राप्त एवं सत्यापित डेटा के साथ इस एकीकृत डेटाबेस को विकसित करना हमारे विभिन्न जोखिमों पर करीबी नजर रखने और इस मामले में सुदृढ़ स्थिति सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति करने के लिए अत्यंत आवश्यक है जिसके बिना भारत अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में समर्थ नहीं हो पाएगा। यह डेटोबस आपदा जोखिमों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत किए गए 10 सूत्री एजेंडे के क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसका उल्लेख नवंबर, 2016 में आयोजित डीडीआर पर एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एएमसीडीडीआर) में किया गया था।
इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और आपदा न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय रणनीति (यूएनआईएसडीआर) के सहयोग से किया गया।
इस दौरान डेटाबेस में शामिल किए जाने वाले विभिन्न जोखिमों, डेटा संग्रह टेम्प्लेट एवं डेटा एंट्री से जुड़े आईटी प्लेटफॉर्म, सत्यापन, प्रबंधन एवं विश्लेषण पर सामूहिक प्रस्तुतियां दी गईं और इसके साथ ही इन पर सामूहिक चर्चाएं भी हुईं।
इस कार्यशाला में हुई चर्चाओं से एक ऐसे संचालन समूह के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा जो इस डेटाबेस की स्थापना पर करीबी नजर रखेगा और इस डेटाबेस के परिचालन, रख-रखाव,अद्यतन एवं इस्तेमाल के लिए आवश्यक प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण के लिए मार्गदर्शन करेगा। यह समूह इसके अलावा पायलट (प्रायोगिक आधार पर) राज्यों को भी चिन्हित करेगा और इसके साथ ही परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एक रूपरेखा या खाका (रोडमैप) भी तैयार करेगा।
एनडीएमए के पदाधिकारियों और संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों, राज्य सरकारों, संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई), आपदा प्रबंधन संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया।