नई दिल्ली: द्वितीय तिमाही क्रिसिडेक्स सर्वेक्षण से पता चला है कि सूक्ष्म एवं मझोले उद्यमों (एमएसई) का प्रदर्शन अक्टूबर-दिसंबर 2017 की तुलना में जनवरी-मार्च 2018 (सर्वेक्षण तिमाही अथवा एसक्यू) में बेहतर रहा है, जो विनिर्माण क्षेत्र के बढि़या प्रदर्शन की बदौलत संभव हुआ है। ‘क्रिसिडेक्स’ बाजार धारणा को दर्शाने वाला सूचकांक है जो उन 8 पैमानों (5 विनिर्माण एवं 3 सेवा पैमाने) के विस्तार सूचकांक पर आधारित है जिन्हें समान भारांक (वेटेज) प्राप्त है। इसके जरिए ‘सर्वेक्षण तिमाही (एसक्यू अथवा जनवरी-मार्च 2018)’ और ‘अगली तिमाही (एनक्यू अथवा अप्रैल-जून 2018)’ के दौरान शून्य (अत्यंत नकारात्मक) से लेकर 200 (अत्यंत सकारात्मक) तक के पैमाने पर एमएसई के बीच व्याप्त कारोबारी धारणा को मापा जाता है।
प्रथम सर्वेक्षण की तरह ही द्वितीय सर्वेक्षण में भी देश भर में फैले समस्त क्षेत्रों के 1100 एमएसई प्रतिभागियों से पैरामीट्रिक फीडबैक प्राप्त हुआ।
क्रिसिडेक्स स्कोर ‘एसक्यू (जनवरी-मार्च 2018)’ के 121 अंक से बढ़कर अक्टूबर-दिसंबर 2017 में 107 अंक हो गया जो प्रथम तिमाही सर्वेक्षण में रेखांकित उच्च आशावाद की अपेक्षाओं की पुष्टि करता है। अप्रैल-जून 2018 अथवा अगली तिमाही में भी अपेक्षाएं सकारात्मक रहने की आशा है।
विनिर्माण के अंतर्गत रसायन, ऑटो कलपुर्जों एवं इंजीनियरिंग और पूंजीगत सामान से संबंधित एमएसई ने एसक्यू में मजबूत सकारात्मक कारोबारी धारणा दशाई, जबकि असंगठित उद्यमों जैसे कि चमड़ा एवं चमड़े के सामान और रत्न एवं जेवरात की उल्लेखनीय मौजूदगी वाले खंडों (सेगमेंट) में कारोबारी धारणा थोड़ी मंद रही।
ऑटो कलपुर्जों, रसायन एवं इंजीनियरिंग और पूंजीगत सामान से संबंधित एमएसई एनक्यू अथवा अगली तिमाही को लेकर सर्वाधिक आशान्वित नजर आए।
सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) भी काफी हद तक आशावादी है। आईटी/आईटीईएस, व्यापारियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं ने सर्वेक्षण तिमाही में उल्लेखनीय कारोबारी भावना दशाई, जबकि लॉजिस्टिक्स और निर्माण/अचल संपत्ति आधारित एमएसई में कारोबारी धारणा कोई खास नहीं थी। व्यापारियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और मानव संसाधन सेवाएं मुहैया कराने वाली फर्मों द्वारा अगली तिमाही में भी अच्छा प्रदर्शन करने की आशा है।
सिडबी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक श्री मोहम्मद मुस्तफा ने कहा कि कानूनी संविधान के संदर्भ में फर्मों के मुकाबले कंपनियां कहीं ज्यादा सकारात्मक पाई गईं।
प्रबंध निदेशक एवं सीईओ श्री आशु सुयश ने कहा कि कुल मिलाकर, सेवा क्षेत्र के एमएसई की तुलना मेंविनिर्माण क्षेत्र के एमएसई कहीं ज्यादा आशावादी हैं।