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सूचना का अधिकार आवेदनों की संख्‍या में बढ़ोतरी

देश-विदेश

नई दिल्ली: लोकसभा में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में यह बताया कि आरटीआई एसेसमेंट एंड एडवोकेसी ग्रुप (राग) और साम्‍य-सेंटर फॉर इक्‍विटी स्‍टडीज (सीईएस) ने एक अध्‍ययन किया है जिससे यह पता लगा है

कि कई सूचना आयोगों में सूचना के अधिकार संबंधी आवेदनों का निपटारा नहीं हो पाया है जिसके कारण हर महीने ऐसे मामलों में इज़ाफा हो रहा है। इस अध्‍ययन का शीर्षक ‘पीपल्‍स मॉनिटरिंग ऑफ दि आरटीआई रिजीम इन इंडिया’ है। रिपोर्ट के अनुसार विलंब का कारण यह है कि कई आयोगों में आयुक्‍तों की कमी है जबकि कुछ आयुक्‍तों का काम धीमा है क्‍योंकि उन्‍हें पर्याप्‍त सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

बहरहाल, सर्वेक्षण करने वाले संगठनों की वस्‍तुनिष्‍ठता, अनुसंधान प्रणाली और सर्वेक्षण के आकार एवं आंकड़ा संकलन तथा उनके सत्‍यापन के बारे में पर्याप्‍त सूचना नहीं है, इसलिए उनके नतीजों पर टिप्‍पणी करना उचित नहीं होगा।

सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिनमें लोकसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए दिशानिर्देश जारी करना और प्रशिक्षण के जरिए उनकी क्षमता का निर्माण करना शामिल है। इस उपाय से उन्‍हें आरटीआई से संबंधित सभी मामलों का तुरंत निपटारा करने की क्षमता प्राप्‍त हो जाएगी। सरकार ने कई स्‍पष्‍टीकरण आदेश जारी किए हैं। इनके अलावा सरकार ने 21 सितंबर, 2013 को ओएम नं. 1/18/2007-आईआर और 15 अप्रैल, 2013 को 1/6/2011-आईआर भी जारी करके जन अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे नागरिकों को अधिकतम जानकारी मुहैया कराएं। केन्‍द्रीय सूचना आयोग को अपना स्‍टाफ रखने के लिए स्‍वायत्‍ता दी गई है। इसके साथ ही जून 2015 में केन्‍द्रीय सूचना आयोग में मुख्‍य सूचना आयुक्‍त और एक सूचना आयुक्‍त की नियुक्‍ति भी की गई है।

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