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भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष सहयोग समझौता

देश-विदेश

नई दिल्ली: राज्‍य सभा में एक अतारांकित प्रश्‍न के उत्‍तर में पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत और रूस अंतरिक्ष अनुसंधान के कुछ क्षेत्रों में संयुक्‍त कार्यक्रम चला रहे हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रशिमन फेडरल स्‍पेस एजेंसी (रॉसकॉस्‍मॉस) ने एक नया समझौता किया है। इसका उद्देश्‍य शांतिपूर्ण उपयोग के लिए बाहरी अंतरिक्ष में अन्‍वेषण संबंधी सहयोग बढ़ाना है। इस समझौते के तहत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का हस्‍तांतरण नहीं किया जाएगा।

इस नए समझौते के तहत पारस्‍परिक हितों के संबंध में संयुक्‍त गतिविधियों का विकास किया जाएगा। इसमें उपग्रह नौवहन, प्रक्षेपण विकास, मानव आधारित उड़ान कार्यक्रम के लिए महत्‍वपूर्ण प्रौद्योगिकियां, पृथ्‍वी की दूर संवेदी निगरानी, अंतरिक्ष विज्ञान, ग्रह अन्‍वेषण और जमीनी अंतरिक्ष संरचना शामिल हैं। समझौते में आगामी प्रक्रियाओं संबंधी विशेष सहयोग प्रस्‍तावों को भी रखा गया है। संयुक्‍त परियोजनाओं, विशेषज्ञता और संसाधनों का आदान-प्रदान, अंतरिक्ष प्रणालियों और घटकों का विकास, वैज्ञानिकों का आदान-प्रदान, प्रशिक्षण और वैज्ञानिक तथा तकनीकी बैठकों को चिन्‍हित किया गया है। इन क्षेत्रों में सहयोग किया जाएगा। इसके अलावा समझौते में ऐसे प्रावधानों को भी सम्‍मिलित किया गया है, जिनका संबंध उद्देश्‍यों, प्रक्रियाओं और वित्‍तीय पक्षों में आपसी सहयोग से है।

इसरो ने इस समझौते पर 25 मई, 2015 को और रॉसकॉस्‍मॉस ने 22 जून, 2015 को हस्‍ताक्षर किए थे। भारत और रूस के बीच इस समझौते के जरिए अंतरिक्ष सहयोग के विस्‍तार से इसरो को लाभ होगा और वह अंतरिक्ष अन्‍वेषण सहित अपने विभिन्‍न अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से चलाने में सक्षम होगा।

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