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51.5 डिग्री तापमान पर ट्रेन दौड़ा रहे लोको पायलट

उत्तर प्रदेश

रोजाना एक हजार से अधिक रेल यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाला लोको पायलट इंजन के अंदर 51.5 डिग्री तापमान पर ट्रेन चला रहा है। रेलवे ने तो लोको पायलटों को राहत देने के लिए इंजनों में एसी व पंखों के इंतजाम किए थे लेकिन 90 प्रतिशत तक इंजनों से एसी और 80 प्रतिशत पंखे गायब हो गए हैं। ऐसे में झुलसा देने वाली गर्मी में जान हथेली पर रख कर लोको पायलट यात्रियों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचा रहे हैं। डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक के खतरे के बावजूद ये बखूबी अपना फर्ज निभा रहे हैं।

रेलवे ने डब्लूडीपी फोर डी डबल कैब वाले इंजनों में लोको पायलट को राहत देने के लिए एसी की व्यवस्था की है। जानकारों के मानें तो करीब 40 लोको हैं, जिनमें एसी लगा हुआ है। रेल कर्मचारियों के मुताबिक इंजनों से 90 प्रतिशत तक एसी गायब हो चुके हैं। लखनऊ जबलपुर एक्सप्रेस समेत कुछ ट्रेनों में एसी हैं लेकिन वह काम नहीं करते हैं। ऐसे में लोको पायलट को उमस व गर्मी में इंजन चलाना पड़ रहा है। डब्लूडीएमथ्रीए इंजनों में लोको पायलट के लिए दो पंखे लगे होते हैं। लोको पायलटों का कहना है कि करीब 80 प्रतिशत इंजनों से पंखे तक गायब हैं। अमूमन यही हाल उत्तर रेलवे का है। यहां से भी कई इंजनों से एसी गायब हैं। लोको पायलट का कहना है कि 50 डिग्री से ऊपर के तापमान में इंजन में लगा पंखा तक चला नहीं सकते हैं क्योंकि वह भी ब्लोअर बन गर्म हवा फेंकता है।

शताब्दी एक्सप्रेस का इंजन सबसे गर्म: लखनऊ से दिल्ली जाने वाली वीआईपी ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस में लगा एबीबी पावर इंजन सबसे गर्म इंजनों में शुमार है। शताब्दी एक्सप्रेस के एसी कोचों में सवार यात्रियों को अंदाजा तक नहीं होगा कि उनको मंजिल तक पहुंचाने वाला लोको पायलट 55 डिग्री तापमान में बैठकर उनको सुरक्षित पहुंचा रहे हैं। ऑल इंडिया रनिंग स्टॉफ एसोसिएशन के अनुसार अधिकारी अपने कमरे 19 डिग्री में रहता है, सेकेंड क्लास कर्मचारी 26 डिग्री में, थर्ड क्लास कर्मचारी 32 डिग्री और संरक्षा से जुड़े कर्मचारी लोको पायलट 55 से 58 डिग्री तापमान में ट्रेन चलाने को मजबूर है।

इंजन में पंखे तक नहीं लगाने देता रेलवे: ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टॉफ एसोसिएशन के संयुक्त महामंत्री विनय शर्मा बताते हैं कि इज्जतनगर व गोण्डा लोको शेड के 90 प्रतिशत इंजनों में तो पंखे तक नहीं लगे हैं। रेल अधिकारियों का मानना है कि पंखे व एसी लगने पर लोको पायलट चलती ट्रेन में सो सकता है। इसलिए इंजनों से पंखे तक हटा दिए जाते हैं। कुछ दिनों पहले संरक्षा बैठक में लोको पायलटों की पत्नियों ने सवाल उठाया था कि अधिकारियों के कमरे में एसी है तो इसका ये मतलब नहीं कि वह सो जाते हैं। विनय शर्मा ने बताया कि रेलवे बोर्ड व महाप्रबंधक को 20 से अधिक ज्ञापन भेजे गए है। पूर्वोत्तर रेलवे डीआरएम से भी 16 मई को मुलाकात ज्ञापन दिया गया था कि लोको में पंखे व एसी का इंतजाम किया जाए।

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