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केंद्र पूर्वोत्‍तर में सड़क क्षेत्र पर ध्‍यान केंद्रित करेगा : डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा है कि सरकार की पूर्वोत्‍तर में खराब सड़क सम्‍पर्क की समस्या हल करने के लिए उस क्षेत्र में सड़कों पर विशेष ध्‍यान देने की योजना है।

यह जानकारी डॉ. जितेंद्र सिंह ने उनसे मुलाकात के लिए मणिपुर के ”सामाजिक-आर्थिक विकास संगठन (एसईडीओ)” के शिष्‍टमंडल को दी। इस शिष्‍टमंडल के सदस्‍य उनसे मणिपुर और असम को चूढ़चंदपुर जिला मुख्‍यालय तुएबोंग से जिरिबाम तक सड़क वैकल्पिक और छोटे अंतर-राज्‍यीय सम्‍पर्क के रास्‍ते जोड़ने वाले एक प्रस्‍ताव पर विचार करने का अनुरो‍ध करने आए थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सिर्फ नई सड़कों के निर्माण और वर्तमान सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने पर ही नहीं, बल्कि ऐसी अंतर-राज्यीय सड़कों का जाल बिछाने पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिन पर अभी तक किसी राज्य विशेष का स्वामित्व नहीं है और जिनका उल्लेख अक्सर “लावारिस सड़कों” के रूप में किया जाता है।

श्री लेत्खो होकिप की अगुआई वाले एसईडीओ शिष्टमंडल ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को एक ज्ञापन तथा लोकसभा सदस्य श्री थांग्सो बायहे का संस्तुति पत्र सौंपा।

ज्ञापन के अनुसार मणिपुर और असम के बीच वर्तमान सड़क संपर्क इंफाल से सिल्चर तक करीब 250 किलोमीटर लंबा है और उस पर यातायात का काफी दबाव है। अगर तुएबोंग से जिरिबाम तक वैकल्पिक सड़क का निर्माण किया जाता है तो दोनों राज्यों को 150 किलोमीटर से भी कम सड़क संपर्क के जरिए जोड़ा जा सकेगा।

मंत्री को सौंपे ज्ञापन में अनुरोध किया गया है कि सड़क परियोजना का कार्य वर्ष 2015-16 में समाप्त न होने वाले संसाधन के केन्द्रीय पूल (एनएलसीपीआर) के अंतर्गत किया जाए। इससे न सिर्फ संपर्क को बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी बल्कि सभी अल्पविकसित क्षेत्रों को मुख्यधारा के समीप लाने में मदद मिलेगी।

शिष्टमंडल के सदस्यों के अनुसार उन्होंने मणिपुर सरकार से इस परियोजना को वर्ष 2015-16 के लिए एनएलसीपीआर की राज्य प्राथमिकता सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है और उनके अनुसार इसे पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय को भी सुझाया गया है। इस सड़क के बन कर तैयार होते ही उपमंडल के दूर-दराज के गांवों को अऩ्य क्षेत्रों से जोड़ने में मदद मिलेगी, जहां अब तक पगडंडियों के अलावा यातायात का और कोई साधन नहीं है।

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