नई दिल्लीः रेल मंत्रालय ने फ्रेट ट्रेनों तथा यात्री ट्रेनों की औसत गति में वृद्धि करने के उद्देश्य से नई दिल्ली में एक दिवसीय कार्यशाला, ‘मिशन रफ्तार’ का संचालन किया। रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। रेलवे बोर्ड के सभी सदस्य, रेल मंडलों के महाप्रबंधक तथा वरिष्ठ रेल अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर रेल तथा कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह कार्यशाला, भारतीय रेल के उच्च प्रबंधन के साथ फ्रेट तथा यात्री ट्रेनों की औसत गति बढ़ाने पर विचार-विमर्श करने का एक प्रयास है। इसके साथ ही समय बद्धता, ट्रैफिक के संदर्भ में गतिरोधों को दूर करना, मानव रहित रेलवे क्रासिंग को समाप्त करने जैसे मामलों पर चर्चा की गयी। भारतीय रेल समयबद्धता के साथ इन समस्याओं को समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2017-2018 में कोयले की लदान 555 मीट्रिक टन थी जो सर्वाधिक है। पिछले तीन महीनों में कोयला लदान में 18.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रेल और कोयला मंत्रालय एक दूसरे के साथ तालमेल से कार्य कर रहे हैं ताकि ऊर्जा संयंत्रों को कोयले की कमी न हो। आयात में कमी आने से कोयले की मांग बढी है। कोयले की आपूर्ति बढाने के लिए उन्होंने कोल इण्डिया लिमिटेड को बधाई दी।
अपने उद्घाटन संबोधन में रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन ने कहा कि भारतीय रेल क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान दे रही है। समय आ गया है कि गतिरोधों को दूर किया जाये ताकि रेलों की गति बढ़ाई जा सके। मिशन रफ्तार को लागू करने में रेल अधिकारियों को सबसे अच्छी विशेषज्ञता प्राप्त है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय रेल की भविष्य की जरूरतों पर विचार करना है। भारतीय रेल यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है। यह उपयुक्त समय है जब रेलों की गति बढ़ाने में आने वाली चुनौतियों पर विचार किया जाये। इसके लिए एक रणनीति सुझाये जाने और इसे लागू किये जाने की जरूरत है।
मिशन रफ्तार के बारे मेः
इसका उद्देश्य फ्रेट तथा यात्री ट्रेनों की औसत गति को अगले पांच वर्षों के दौरान 25 किमी प्रति घंटा तक बढ़ाना है। फ्रेट ट्रेनों की औसत गति 24 किलोमीटर प्रति घंटा है जबकि यात्री ट्रेनों (उप-नगरीय रेलों को छोड़कर) की औसत गति 44 किमी प्रति घंटा है।
यात्रा अवधि को कम करने, माल ढोने में लगने वाले समय को कम करने, संचालन लागत को कम करने, राजस्व बढ़ाने तथा रेलवे की बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए रेलों की औसत गति को बढ़ाना आवश्यक है।
सड़क और हवाई मार्ग से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा को देखते हुए अपनायी जाने वाली रणनीति का यह एक हिस्सा है। परिवहन क्षेत्र में 45 प्रतिशत की हिस्सेदारी भारतीय रेल के लिए वांछनीय मानी जाती है क्योंकि यह पर्यावरण अनुकूल और परिवहन का सस्ता माध्यम है।
स्वर्णिम चतुर्भुज के अंतर्गत मुख्य रेल मार्ग हैं-दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावडा, हावडा-चेन्नई, चेन्नई-मुंबई, दिल्ली-चेन्नई और हावडा-मुंबई। इन मार्गों से 58 प्रतिशत फ्रेट यातायात तथा 52 प्रतिशत यात्री यातायात का संचालन होता है। यह रेल नेटवर्क का मात्र 15 प्रतिशत है और इसे प्रारंभिक कार्यान्वयन के लिए चयनित किया गया है।