लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खनिज विकास एवं पर्यावरण सुरक्षा हेतु उ0प्र0 उप खनिज (परिहार) नियमावली-1963 में 38वां संशोधन किया गया है। इस संशोधन के द्वारा नियमावली के नियम-8 में संशोधन करते हुए नदी तल में मिश्रित अवस्था में पाये जाने वाले उपखनिजों के खनन पट्टों मंे द्वितीय नवीनीकरण का प्राविधान किया गया है।
ज्ञातव्य है कि अब यह नियमावली उप खनिज (परिहार) (अड़तीसवां संशोधन) नियमावली 2015 कही जाएगी। इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
यह जानकारी आज यहां राज्य सरकार के प्रवक्ता ने देते हुए बताया कि नियम-12 में संशोधन करते हुए नदी तल में पाये वाले बालू, मोरंग, बजरी, बोल्डर अथवा इनमें से कोई भी जो मिली जुली अवस्था में नदी तल में पाए जाने वाले उपखनिज के क्षेत्रों के पट्टों के न्यूनतम 03 वर्ष की अवधि को बढ़ाकर 05 वर्ष की अवधि निश्चित किया गया है। नदी तल के ऐसे क्षेत्रों को वर्तमान पट्टों में निर्धारित अवधि 03 वर्ष को बढ़ाकर 05 वर्ष किए जाने का प्राविधान भी किया गया है। खनन से होने वाली पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम करने के उद्देश्य से नियम- 34 के अन्तर्गत खनन पट्टा निष्पादित होने से पूर्व चयनित आवेदक को खनन योजना जिसमें वार्षिक विकास योजना, खान के पुनरुद्धार एवं क्षेत्र को पुनसर््थापित करने की योजना को अनुमोदित कराने का प्राविधान भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही, चयनित आवेदक को पर्यावरणीय स्वच्छता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का प्राविधान भी सम्मिलित किया गया है।