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प्रदेश में एफ0एल0-2 की नवीन व्यवस्था को लागू किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल द्वारा एक उप मंत्रिमण्डलीय समिति का गठन किया गया।

उत्तराखंड
देहरादून: मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने बताया है कि राज्य सरकार द्वारा बनायी गई एफ.एल.-2 नीति एक पारदर्शी एवं राज्यहित में बनायी गई नीति है। श्री कुमार ने नीति के संबंध में जानकारी देते हुए बताया है कि प्रदेश में एफ0एल0-2 की नवीन व्यवस्था को लागू किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल द्वारा एक उप मंत्रिमण्डलीय समिति का गठन किया गया।

उक्त समिति द्वारा एफ0एल0-2 के सम्बन्ध में की गयी संस्तुति के क्रम में दिनांक 01.05.2015 से एफ0एल0-2 की नवीन व्यवस्था को प्रदेश में लागू किया गया। उक्त व्यवस्था के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य की मण्डी परिषद को राज्य के दोनो मण्डलों में एक-एक एफ0एल0-2 तथा प्रत्येक जनपद में सम्बन्धित मण्डल में कार्यरत गढवाल मण्डल विकास निगम तथा कुमांयू मण्डल विकास निगम को उप एफ0एल0-2 खोलने के निर्देश दिये गये हैंे। एफ0एल0-2 अनुज्ञापन के माध्यम से प्रदेश में संचालित विदेशी मदिरा व बीयर के फुटकर अनुज्ञापियों को मदिरा की आपूर्ति की जा रही है।
थोक लाइसेंस के सैटेलमेंट की व्यवस्था वर्तमान वर्ष में राज्यहित में गत वर्ष की व्यवस्था से आंशिक परिवर्तित की गयी है। गत वर्ष तक प्रचलित व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक डिस्टलरी को प्रत्येक जनपद में अपना एफ॰एल॰-2 खोलना होता था, जिसके माध्यम से वह रिटेलर को मदिरा की बिक्री करता था। इस प्रकार लगभग 32-33 डिस्टलरी जनपदों में अलग-अलग एफ॰एल॰-2 खोलने को अधिकृत थी, लेकिन वास्तविकता में उपरोक्त डिस्टलरी समस्त जनपदों में अपने एफ॰एल॰-2 नहीं खोलती थी, बल्कि उसी जनपद में संचालित करती थी, जहाॅ उनकी बिक्री अधिक होती थी। इस प्रकार मैदानी क्षेत्र के कुछ जिलो को छोडकर अन्य जनपदों में मात्र 7-8 कम्पनियों का ही ब्राण्ड मिल पाता था। उक्त व्यवस्था से जहाॅ रिटेलर समस्त ब्राण्ड प्राप्त नहीं कर पाते थे, वहीं अलग-अलग स्थानों पर एफ॰एल॰-2 के होने से मदिरा के उठान करने में भी व्यवहारिक दिक्कत आती थी तथा एफ॰एल॰-2 के विभिन्न स्थानों पर होने से आबकारी विभाग का भी प्रभावी नियन्त्रण नहीं रह पाता था।
उपरोक्त कमियों के निराकरण हेतु शासन द्वारा वर्तमान वर्ष हेतु प्रख्यापित आबकारी नीति में एफ॰एल॰-2 की व्यवस्था में परिवर्तन कर सम्बन्धित मण्डल के जनपदों में आपूर्ति हेतु गढवाल मण्डल विकास निगम तथा कुमांऊ मण्डल विकास निगम को उनके पूर्व के शराब कारोबार के अनुभव को देखते हुए अधिकृत किया तथा व्यवस्था में सुधार व पारदर्शिता लाने के लिए प्रदेश स्तर पर मण्डलों में मदिरा की खरीद तथा उसकी कीमत के डिस्टलरी को भुगतान हेतु मण्डी परिषद को अधिकृत किया गया। इस व्यवस्था का मुख्य उददेश्य एफ॰एल॰-2 के कार्य में पारदर्शिता लाना, एकाधिकार को हटाना, राज्य के उपक्रम मण्डी परिषद, कुमाऊॅ मण्डल विकास निगम तथा गढवाल मण्डल विकास निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार लाना, प्रत्येक जनपद में मदिरा के समस्त ब्राण्डों को उपलब्ध कराना तथा आबकारी विभाग का प्रभावी नियन्त्रण स्थापित करना है। उपरोक्त व्यवस्था के विरोध में मा0 उच्च न्यायालय में पी0आई0एल0/रिट याचिकाएं भी योजित की गयी। मा0 उच्च न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात आज दिनांक 06.08.2015 को राज्य सरकार द्वारा नवीन एफ0एल0-2 की जो व्यवस्था की गयी है, को विधिसम्मत तथा राज्य हित में मानते हुये शासन की कार्यवाही को सही मानते हुए योजित रिट याचिकाओं को निस्तारित कर दिया गया है।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि एफ0एल0-2 की व्यवस्था उचित व जनहित में की गयी है तथा मा0 उच्च न्यायालय के निर्णय से शासन का पक्ष मजबूत हुआ है। राज्य सरकार द्वारा एफ0एल0-2 की नीति नियमान्तर्गत तथा राज्यहित में है।

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