शास्त्रों में निर्जला एकादशी का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी तीर्थों पर स्नान करने के बराबर पुण्य व्यक्ति को मिलता है। बता दें, साल में 24 एकादशी आती हैं। इन 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है।
वही , शास्त्रों में कहा जाता है कि इस एक एकादशी का व्रत रखने से बाकी 23 एकादशियों के व्रत का फल भी मिल जाता है। निर्जला एकादशी व्रत में एक दिन पहले से ही यानि दशमी तिथि के दिन से ही नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं इस खास दिन पानी पीना चाहिए यह नहीं ।
आपको बता दे कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष शनिवार 23 जून 2018 को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। विष्णु पुराण में निर्जला एकादशी के व्रत को खास महत्व बताया गया है। साथ ही जानकारी दी गई है कि अगर आप 24 एकादशी का व्रत नहीं कर पाते तो आप निर्जला एकादशी का व्रत करके सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन दान-पुण्य और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। एकादशी व्रत मुख्य रूप से सृष्टि के संघचालक श्रीभगवान विष्णुजी के निमित्त किया जाता है। इस दिन स्नान के बाद ‘ऊँ नमो बासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। निर्जला एकादशी के व्रत में बिना कुछ खाए पिए पूरे दिन उपवास रखा जाता है।
मान्यता है, जो भी भक्त सच्चे मन से इस एकादशी का व्रत करता है, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। उनके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी कथा को पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान के जितना फल भी प्राप्त होता है।
इस दिन जो निर्जल रहकर प्रात: स्नान के पश्चात ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को पंखा, आम, सत्तु, अन्य मौसमी फल और शुद्ध जल से भरा घड़ा दान करता है, उसे अत्यंत पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
24 घण्टे बिना अन्न-जल के संयमित रहकर दूसरे दिन द्वादशी तिथि को स्नान करने के बाद तुलसी के पत्तों से श्रीभगवान विष्णुजी की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था। जिसके बाद वो मूर्छित हो गए थे। इसको भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ- 23 जून 2018 को 03:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 24 जून 2018 को 03:52 बजे
व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त- 24 जून 2018 को दोपहर 1:59 से शाम 04:30 के बीच