नई दिल्ली: देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण कारकों में परिवहन संरचना एक है। तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वैश्विकरण तथा शहरी केन्द्रों, शहरों तथा नगरों में तेज गति से आबादी सघन हो रही है। इस तेज गति के साथ लोगों तथा सामानों तथा विभिन्न सेवाओं की आवाजाही के लिए मेट्रो रेल परियोजनाएं न केवल परिवहन समाधान के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं, बल्कि शहरों को बदलने के साधन के रूप में कार्य कर रही हैं।
देश के दस नगरों में 490 किलोमीटर की मेट्रो लाइनें चालू हैं। विभिन्न शहरों में 600 किलोमीटर से अधिक की मेट्रो रेल परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। आने वाले वर्षों में मेट्रो रेल क्षेत्र में काफी वृद्धि होगी। अगले कुछ वर्षों में 350 किलोमीटर से अधिकर मेट्रो रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा, क्योंकि और शहर विस्तार की योजना या मेट्रो रेल के नये निर्माण की योजना बना रहे हैं। मेट्रो रेल नेटवर्क के अतिरिक्त क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) दिल्ली और एनसीआर में भीड़भाड़ कम करने के लिए चलाई जा रही है। आरआरटीएस के पहले चरण में तीन गलियारे हैं, जो लगभग 380 किलोमीटर की कुल लम्बाई को कवर करते हैं। इस परिवहन व्यवस्था से दिल्ली, सोनीपत, अलवर तथा मेरठ से जुड़ जाएगी।
भारत सरकार मेट्रो रेल परियोजनाओं को लागू करने में वित्तीय समर्थन दे रही है। सरकार एक्विटी तथा गौण बांड और बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय ऋणों की गारंटी देकर वित्तीय समर्थन दे रही है। पिछले चार वर्षों में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए केन्द्र सरकार के बजट आवंटन में वृद्धि हमारे शहरों को भीड़भाड़ तथा जाम से मुक्त करने और आवाजाही बढ़ाने की आवश्यकता का साक्ष्य है। राज्य सरकारों, निजी साझेदारों और यूएलबी निवेशों के अतिरिक्त केन्द्र सरकार का बजट आवंटन बढ़कर 25,000 करोड़ रुपया वार्षिक हो सकता है।
देश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के प्रणालीगत और सतत विकास के लिए विभिन्न अन्य कदम उठाए गए हैं। रेल बोर्ड से सहमति मिलने के बाद रॉलिंग स्टॉक तथा सिग्नल प्रणालियों या मेट्रो रेल के लिए मानकों को 2017 में अधिसूचित किया गया। रॉलिंग स्टॉक के लिए मानकों से ढांचे का मानक तय होता है। हाल में इलेक्ट्रिकल प्रणालियों के लिए रेल बोर्ड द्वारा मानक स्वीकृत किए गए हैं और शीघ्र ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी। विभिन्न नई मेट्रो प्रणालियों ने अधिसूचित मानकों के अनुसार प्रणालियों की खरीदारी प्रारंभ कर दी है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत अनुसंधान परियोजना के माध्यम से एनपीसीआई तथा सी-डैक द्वारा डीएमआरसी के सहयोग से स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली तथा रुपे मानक पर आधारित संपूर्ण प्रणाली के लिए विस्तृत विनिर्देश तैयार किए गए हैं। बीईएल को कहा गया है कि वह अपनी निधि से गेट का प्रोटोटाइप बनाए। पहले ही काफी खर्च किए जा चुके हैं और अक्टूबर, 2018 में राष्ट्रीय कॉमन मोबीलिटी कार्ड (एनसीएमसी) पर आधारित पहला स्वदेशी गेट के लांच किए जाने की संभावना है। विश्व की सर्वाधिक आधुनिक सिग्नल प्रणाली यानी संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) प्रणाली के विनिर्देश संयुक्त रूप से बीईएल, सी-डैक, डीएमआरसी, एसटीक्यूसी द्वारा आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं। सीबीटीसी प्रणाली पहली बार देश में कोच्चि मेट्रो रेल द्वारा लागू की गई।
लेकिन कई अन्य क्षेत्र हैं जिनके लिए स्वदेशी मानक बनाए जाने की आवश्यकता है। इनमें मेट्रो स्टेशन की रूपरेखा, प्लेटफार्म, संकेतक, सूरंगों का आकार, अग्नि सुरक्षा प्रणाली, आपदा प्रबंधन प्रणाली, पर्यावरण अनुकूल और कचरा प्रबंधन प्रणाली, स्टेशनों पर सौर पैनलों के लिए मानक शामिल हैं।
इन स्वदेशी मानकों से यह सुनिश्चित होगा कि सभी नई मेट्रो परियोजनाओं के लिए मेट्रो रेल उप-प्रणालियां निर्धारित मानकों की पुष्टि करती हैं।
मेट्रो रेल में मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिए श्री ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जिसके निम्नलिखित सदस्य हैं-
1. अध्यक्ष डॉ. ई. श्रीधरन
2. श्री एच.एस. आनंद (रॉलिंग स्टॉक के लिए) पूर्व निदेशक, रॉलिंग स्टॉक, डीएमआरसी
3. श्री समीर लोहानी (रॉलिंग स्टॉक के लिए) कार्यकारी निदेशक, (कैरेज) आरडीएसओ, भारतीय रेल
4. श्री डी.के. सिन्हा, (सिग्नल के लिए) निदेशक संचालन, कोच्चि मेट्रो रेल
5. श्री जितेन्द्र त्यागी (सिविल इंजीनियरिंग के लिए) एमडी, देहरादून मेट्रो, उत्तराखंड
6. श्री विपुल कुमार (ट्रैक और सिविल स्ट्रक्चर) कार्यकारी निदेशक, ट्रैक आधुनिकीकरण, रेल बोर्ड
7. श्री प्रशांत राव (स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली) निदेशक प्रणाली, अहमदाबाद मेट्रो
8. श्री अनूप गुप्ता (ट्रैक्शन, बिजली सप्लाई, वेंटिलेशन) निदेशक इलेक्ट्रिकल, डीएमआरसी
9. श्री मुकुंद कुमार सिन्हा (सदस्य सचिव) ओएसडी (यूटी) तथा पदेन संयुक्त सचिव, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय
आशा है कि यह समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश कर देगी। तीन महीनों के बाद मानकीकरण के विशेष कार्य के आधार पर डॉ. श्रीधरन निर्दिष्ट अवधि के लिए विशेषज्ञ सदस्यों को शामिल कर सकते हैं।