नई दिल्ली: सरकार ने 30.07.2015 को देश में विदेशी निवेशों पर संयुक्त सीमाएं शुरू की है ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में सभी क्षेत्रों के लिए एकरूपता एवं सरलता लाई जा सके। संयुक्त सीमा सभी क्षेत्रों पर लागू है। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। संयुक्त सीमाओं की शुरूआत के साथ विदेशी निवेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी प्रकार के विदेशी निवेश शामिल होंगे, चाहे उक्त निवेश विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) (भारत के बाहर रह रहे व्यक्तियों द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम), विनियमों की अनुसूची-1 (एफडीआई), 2. विदशी संस्थागत निवेशक(एफआईआई) 2क. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई), 3 अनिवासी भारतीय (एनआरआई), 6 विदेशी उद्यम पूंजी निवेशक (एफवीसीआई), 8. पात्र विदेशी निवेशक (क्यूएफआई), 9 सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) और 10 निक्षेपागार रसीद (डीआर) के तहत निवेश किए गए हों। विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) और डीआर जिनमें ऐसे साधन निहित हैं जो अनुसूची 5 के तहत जारी किये जा सकते हैं, ऋण की प्रकृति के होने के कारण विदेशी निवेश नहीं माने जाएंगे। तथापि किसी भी व्यवस्था के तहत किसी ऋण साधन के परिवर्तन द्वारा भारत से बाहर रह रहे किसी व्यक्ति द्वारा धारित इक्विटी संयुक्त सीमा के तहत विदेशी निवेश मानी जाएगी। इस उपाय से एफसीआई नीति में स्पष्टता आने तथा विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद है। जहां तक एफडीआई नीति के दुरूपयोग तथा निगरानी तंत्र का संबंध है, यह उल्लेखनीय है कि आरबीआई विदेश अंतर्वाह की निगरानी करता है तथा एफडीआई नीति के विशिष्ट उल्लंघन की जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जाती है।