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एनबीसीसी/सीपीडब्ल्यूडी 7 कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए संबंधित योजनाओं को नए सिरे से तैयार करेगा

देश-विदेश

नई दिल्ली: एनबीसीसी/सीपीडब्ल्यूडी पेड़ों को गिराने/काटने से बचने के लिए 7 जीपीआरए कॉलोनियों में बाकी बचे पुनर्विकास हेतु संबंधित डिजाइन और योजनाओं को नए सिरे से तैयार करेगा। एनबीसीसी पेड़ों को नए स्थान पर ले जाने में सक्षम उपकरणों को खरीदने के साथ-साथ इस संबंध में प्रशिक्षित प्रोफेशनल निकायों की सेवाएं पाने के लिए अभिरुचि पत्र पहले ही आमंत्रित कर चुकी है। इसके अलावा, पेड़ों को लगाने के लिए उपयुक्त स्थान सुझाने हेतु नागरिकों के समूहों को आमंत्रित किया जाएगा।

इस संबंध में आज यहां एक बैठक की अध्यक्षता आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने की। बैठक के दौरान विशेषकर पेड़ों को गिराने के संदर्भ में 7 जीपीआरए कॉलोनियों के पुनर्विकास से संबंधित विभिन्न मसलों पर चर्चा की गई।

बैठक में निम्नलिखित भी उपस्थित थे :

i) श्री अनिल बैजल, दिल्ली के माननीय एलजी

ii) श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, सचिव, एमओएचयूए

iii) श्री मनोज कुमार, अपर सचिव, एमओएचयूए

iv) श्री उदय प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष, डीडीए

v) डॉ. अनूप कुमार मित्तल, सीएमडी, एनबीसीसी

vi) श्री अभय सिन्हा, डीजी, सीपीडब्ल्यूडी

vii) श्री प्रभाकर सिंह, विशेष डीजी, सीपीडब्ल्यूडी

9 जनवरी, 2018 को आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में दिए गए प्रस्तुति का पालन करते हुए दिल्ली के विभिन्न भागों में दस लाख से अधिक पौधे निम्नलिखित अनुसार लगाने का फैसला लिया गया।

एनबीसीसी    :     25,000

सीपीडब्ल्यूडी  :     50,000

डीडीए        :     10,00,000

डीएमआरसी   :     20,000

      यह स्पष्ट किया जाता है कि ये छोटे पौधे नहीं, बल्कि 8 से 12 फीट लंबे पेड़ होंगे। इन पौधों को लगाने का काम मॉनसून मौसम के दौरान अगले तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। इन पेड़ों में फलदार, फूलदार और अन्य हरे पेड़ शामिल होंगे।

      राज्य सरकार के वन विभाग और दिल्ली सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्री की विशेष सिफारिश पर पर्यावरण और इससे संबंधित मंजूरी दी जाती है। (दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री श्री इमरान हुसैन ने उपराज्यपाल को इन मामलों में सिफारिश की थी।)

इस बीच, दिल्ली के उपराज्यपाल को सलाह दी गई है कि वे पर्यावरणीय मुद्दों पर बातचीत करने के लिए विशेषज्ञों/संबंधित नागरिकों का समूह स्थापित करें और इन उपनिवेशों के संबंध में आगे की विशिष्ट कार्रवाई की जाए।

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