जयपुर: राजस्थान में मदनलाल सैनी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल गई है. पार्टी में निचले स्तर से प्रदेश अध्यक्ष के पद तक पहुंचने वाले सैनी गिनती एक स्वच्छ और जुझारू राजनेता के तौर पर होती है. राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि पार्टी के प्रति निष्ठा, सादगी, जमीनी पकड़ की वजह से मदनलाल सैनी को यह मौका मिला है. अब राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2018 का रण मदनलाल सैनी की अगुवाई में लड़ा. जाएगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति और मदनलाल सैनी की कार्यकुशलता से चुनावी साल में पार्टी को नई संजीवनी मिलेगी.
फार्च्यूनर, सफारी और लावलश्कर के साथ चलने वाले फोकस वाले नेताओं के दौर में मदनलाल सैनी वो नेता है जो राजस्थान रोडवेज की बस से चला करते थे. मदनलाल सैनी वो नेता है जो चौमू सर्कल से पैदल प्रदेश कार्यालय पहुंचा करते थे. जमीन से जुड़े एक ऐसे नेता के साथ पिछले 4 महीने में जो हुआ वो किसी चमत्कार से कम नहीं है. कल तक जिस नेता के बारे में जानने के लिए मेहनत करनी पड़ रही हो वो नेता अचानक राज्यसभा सांसद और फिर प्रदेश बीजेपी का मुखिया बन गया हो. जाहिर है पिछले 75 दिनों में बीजेपी में जो कुछ घटित हुआ वो पहले कभी नहीं हुआ लेकिन मदन लाल सैनी का नाम एक ऐसा नाम है जो तमाम विरोधों को एकजुटता में परिवर्तित कर सकता है क्योंकि राजनैतिक तौर पर उनका का कोई राजनैतिक दुश्मन हो ऐसा नहीं है.
चुनावी साल में बीजेपी को मिलेगी नई संजीवनी
बीजेपी ने मदनलाल को राजस्थान की कमान सौंपकर एक तीर से कई शिकार किए हैं. एक तो बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं के बीच एक ऐसा संदेश दिया है कि जमीन से जुड़ा कोई भी नेता बीजेपी में बड़े पद तक पहुंच सकता है. दूसरा ये कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ये संदेश दिया है कि वो किसी तरह से डिक्टेटर की तरह से काम नहीं कर रहे हैं. बीजेपी में फैसले आम सहमति से किए जाते हैं.
तीसरा ये कि बीजेपी ने मूल ओबीसी के मामले में एक ऐसा कार्ड खेला है जो राजनीतिक तौर पर राजस्थान में बड़ा आधार रखता है. चौथा ये कि मदनलाल सैनी अपनी बेदाग छवि के दम पर रूठों को मना सकते है और घर वापसी करा सकते हैं.
सैनी की अगुवाई में 2018 का रण
मिशन 180 और मिशन 25 को टार्गेट बनाकर चलने वाले मदनलाल सैनी बीजेपी को जीत दिला पाएंगे या नहीं ये अलग बात है लेकिन ये जरूर है जिस तरह की जम्मेदारियां मदनलाल के कंधों पर होगी वो ये बताती है कि उनके पास आराम करने का एक दिन भी नहीं होगा. पहले दिन से ही उनको काम पर लगना होगा. सबसे बड़ा सवाल है कि क्या मदनलाल सैनी के रूप में बीजेपी ने बीच का रास्ता निकाला है या एक मास्टस्ट्रोक लगाया है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.