नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की चौतरफा मांग के बीच यह संकेत मिले थे कि सरकार इस मांग पर विचार कर सकती है। लेकिन शुक्रवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैटक में जीएसटी काउंसिल के मेंबर सुशील कुमार मोदी ने निकट भविष्य में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना से इनकार कर दिया। अब इस मुद्दे पर वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि अगर ईंधन को जीएसटी के तहत लाते हैं तो कीमतों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
तेल सस्ता करने के लिए केंद्र और राज्यों को रेवेन्यू छोड़ना होगा
वित्त सचिव ने कहा कि, पेट्रोल की कीमत और जीएसटी के तहत पेट्रोल लाने के बीच बहुत ज्यादा कनेक्शन नहीं है। यदि यह जीएसटी के तहत लाया गया और रेवेन्यू-न्यूट्रल रेट लागू होता है, तो कीमत कम होने की संभावना नहीं है। अगर रेवेन्यू-न्यूट्रल रेट लागू नहीं होता है, तो यह सस्ता होगा, लेकिन केंद्र और राज्यों को रेवेन्यू छोड़ना होगा।
इस मुद्दे पर राज्यों के साथ सहमति बनाने में अभी कुछ समय लगेगा
इससे पहले, कल उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जब जीएसटी में लाया जाएगा तो इनको कर की 28% की सबसे ऊंची दर के तहत रखा जाएगा। इसके साथ इन वस्तुओं पर राज्य भी कुछ कर लगा सकेंगे और इस तरह इनकी खुदरा कीमतें मौजूदा स्तर के आस पास बनी रहेंगी। मोदी ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्यों के साथ सहमति बनाने में अभी कुछ समय लगेगा और परिषद ही इस पर अंतिम फैसला समय पर लेगी।
पेट्रोल और डीजल फिलहाल जीएसटी में शामिल नहीं किया जाएगा
उन्होंने बताया कि, पेट्रोलियम पदार्थों को यदि 28 प्रतिशत की श्रेणी में रखा जाता है तो उसके ऊपर राज्य सरकारें भी कुछ कर लगा सकेंगी। पूरी दुनिया में यही व्यवस्था है। राज्यों के राजस्व का करीब 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा पेट्रोलियम पदार्थों पर कर से ही मिलता है। मोदी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को अभी फिलहाल आने वाले कुछ महीनों में जीएसटी में शामिल नहीं किया जाएगा. oneindia