नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी (एचईएफए) का पूंजी आधार 10,000 करोड़ रूपये बढ़ाकर और 2022 तक शिक्षा में अवसंरचना प्रणाली को नई मजबूती देने के लिए 1,00,000 करोड़ रूपये जुटाने की जिम्मेदारी देकर एचईएफए का दायरा बढा़ने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने का बड़ा कदम है।
आज नई दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि एचईएफए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन है जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध और अकादमिक संरचना को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त वित्त उपलब्ध कराना है।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने बताया कि 2013-14 में शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित 65,867 करोड़ रूपये को बढ़ाकर 2018-19 में 1,10,000 करोड़ रूपये (67 प्रतिशत की वृद्धि) फीस बढ़ाए बिना किया गया। वास्तविक आवश्यकता के आधार पर चालू वर्ष में एचईएफए 22 हजार करोड़ रूपये जुटाए गए। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं, शोध सुविधाओं से भारत में प्रतिभाशाली युवाओं को बनाए रखने में मदद की होगी और विदेशों में रह रहे भारतीय यहां के विश्वविद्यालयों के प्रति आकर्षित होंगे। यह पलायन को लाभ में बदल देगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि परियोजना आधारित धन पोषण से परियोजना के चयन और क्रियान्वयन में अनुशासन आता है। उन्होंने कहा कि नए संस्थानों पर कोई बोझ नहीं आएगा क्योंकि सरकार ऋण का संपूर्ण बोझ उठाएगी और इस परियोजना पर विद्यार्थियों के फीस में कोई वृद्धि नहीं होगी।
शिक्षा प्रणाली में अवसंरचना को मजबूत बनाने के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
ए) 2022 तक श्रेष्ठ वैश्विक मानकों के अनुसार भारत में शोध और अकादमिक अवसंरचना को उन्नत बनाना।
बी) भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में उच्च गुणवत्ता संपन्न शोध संरचना उपलब्ध कराकर भारत को शिक्षा केंद्र बनाना।
सी) केंद्रीय विश्वविद्यालयों, एम्स, आईआईएसईआर तथा राष्ट्रीय महत्व के नए संस्थानों को विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना एचईएफए के धन पोषण को सुगम बनाने की अनुमति।
डी) अवसंरचना परियोजनाओं को लागू करने में दायित्व और गति लाना।
ई) केंद्रीय विद्यालयों तथा नवोदय विद्यालयों और एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों की आवश्यकताओं को तेज गति से समय सीमा में पूरी करना।
एचईएफए-यात्रा
एचईएफए का गठन केंद्र सरकार के अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों में अवसंरचना बनाने के लिए अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा एक अलाभकारी गैर बैंकिंग वित्ती कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में किया गया।
अब तक एचईएफए द्वारा 2,016 करोड़ रूपये क धन पोषण प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है।
2022 तक शिक्षा में अवसंरचना और प्रणालियों को मजबूती प्रदान करना (राइज)
2022 तक राइज कार्यक्रम का प्रयास है- बाजार में उपलब्ध स्रोतों का उपयोग करते हुए लक्ष्य के अनुरूप कार्य योजना तैयार करना।
सभी संस्थानों की आवश्यकताओं, खासकर ऐसे संस्थान जिनकी स्थापना 2014 के बाद हुई है, केन्द्रीय विश्वविद्यालय जिनके पास बहुत कम आंतरिक संसाधन हैं और स्कूली शिक्षा/स्वास्थय शिक्षा अवसंरचना जैसे एम्स, केन्द्रीय विद्यालय आदि के संदर्भ में सरकार ने एचईएफए के अंतर्गत निम्न पांच योग्यताओं तथा मूलधन के मुख्य अंश के पुनर्भुगतान की प्रक्रियाओं को मंजूरी दी है। (इन सभी मामलों में सरकारी अनुदान के माध्यम से ब्याज का लगातार भुगतान किया जाएगा)।
- नये स्थापित संस्थान (2014 के बाद प्रारंभ) तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अन्य संस्थान जो शिक्षा शुल्क में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकते तथा जिनके पास आंतरिक स्रोत की कमी है : मूलधन और ब्याज के कुल भुगतान के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
- अन्य शैक्षणिक संस्थान तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के वित्तीय सहायता प्राप्त संस्थान : सभी नये स्थापित एम्स और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों, केन्द्रीय वि़द्यालय/नवोदय विद्यालयों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी और संबंधित विभाग/मंत्रालय, संस्थान को पर्याप्त अनुदान के माध्यम से मूलधन और ब्याज के भुगतान के लिए प्रतिबद्ध होंगे।
III. 2014 के पहले शुरू किए गये केन्द्रीय विश्ववि़द्यालय : मूलधन की 10 प्रतिशत राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संसाधनों द्वारा तथा मूलधन की शेष राशि के लिए अनुदान प्राप्त करें।
- 2008 और 2014 के बीच शुरू किए गये तकनीकी संस्थान : मूलधन की 25 प्रतिशत राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संसाधनों द्वारा तथा मूलधन की शेष राशि के लिए अनुदान प्राप्त करें।
- 10 साल से अधिक पुराने तकनीकी संस्थान : संपूर्ण मूलधन का पुनर्भुगतान आंतरिक रूप से संग्रह किए गये बजट प्रावधानों के द्वारा।
अगले 4 वर्षों के दौरान अर्थात् 2022 तक संग्रह की जाने वाली कुल राशि 1,00,000 करोड़ रुपये होगी। धनराशि की उपलब्धता साथ में जोड़े गए अनुलग्नक के अनुरूप होगी।
एचईएफए की ऋण नीति में परियोजनाओं की एक ऋणात्मक सूची होगी ताकि केवल आवश्यक परियोजनाओं के लिए ही धनराशि उपलब्ध करायी जा सके। प्रत्येक प्रस्ताव में निम्न विवरण होने चाहिए- वर्तमान क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए उठाए जाने वाले कदम, आय बढ़ाने की रणनीति, परिसम्पति निर्माण से होने वाली आय और एसक्रो व्यवस्था। एक निगरानी व्यवस्था के तहत सभी परियोजनाओं की निगरानी की जाएगी। इसमें निगरानी करने वाले हितधारक मंत्रालय/नीति आयोग सहित अन्य संगठन के पास एक डैश बोर्ड होगा।
सरकार की गारंटी प्राप्त बांड और वाणिज्यिक ऋण के माध्यम से बाजार से आय का संग्रह किया जा सकता है। यदि इन दोनों तरीकों का उपयोग होता है तो आर्थिक मामलों के विभाग के परामर्श से इसे अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि आय के संग्रह की लागत कम से कम हो। इस उद्देश्य के लिए एक समिति बनाई जाएगी, जिसके सदस्य होंगे- आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, परिव्यय विभाग के सचिव, वित्त सेवाओं विभाग के सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव तथा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के सचिव।
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