16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए काम में तेजी लाएं और धनराशि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करें: राजनाथ सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: राजनाथ सिंह ने पूर्वोत्तर राज्यों को पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की लंबित परियोजनाओं पर तेजी से काम करने तथा धनराशि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कहा है। आज शिलोंग में एनईसी के 67वें पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एनईसी और पूर्वोत्तर राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लंबित परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से पूरी हों।

गृह मंत्री ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी 4500 करोड़ रुपये की धनराशि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में सिविल सोसाइटी बहुत शक्तिशाली माध्यम है और सभी विकास कार्यक्रमों में इन्हें जोड़ा जाना चाहिए। इन्हें सामाजिक-आर्थिक बदलाव में सहयोगी बनाया जाना चाहिए। सामाजिक लेखा (सोशल ऑडिट) एक ऐसा ही माध्यम हो सकता है। सोशल ऑडिट से हमें धनराशि के खर्च की जानकारी मिलती है। यह लोगों को विकास कार्यक्रमों से जोड़ता है।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि रिमोट सेंसिंग और उपग्रह से प्राप्त चित्र के क्षेत्र में एनईसी ने नोर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एनईएसएसी) के साथ समझौता किया है और एक पोर्टल व मोबाइल एप विकसित किया है। इसके माध्यम से सभी हितधारक कार्यक्रमों की प्रगति की निगरानी कर सकते हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र में आंतरिक सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि शांति और सुरक्षा के अभाव में निजी निवेश नहीं हो सकता और आर्थिक गतिविधि जारी नहीं रह सकती। एनडीए के चार वर्षों के शासन में स्थिति बेहतर हुई है। यदि हम 90 के दशक से तुलना करे तो विद्रोही गतिविधियों में 85 प्रतिशत की कमी आई है। नागरिक और सुरक्षा बलों के मारे जाने वाले लोगों की संख्या में 96 प्रतिशत की कमी आई है। आज त्रिपुरा और मिजोरम विद्रोही गतिविधियों से मुक्त हो गए हैं। मेघालय में एएफएसपीए को पूरी तरह हटा दिया गया है तथा अरूणाचल प्रदेश में इसके कवरेज क्षेत्र में कमी की गई है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए गृह मंत्री ने अल्पावधि, मध्यम अवधि और लंबी अवधि पर आधारित रोड़मैप तैयार करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए नीति फोरम का गठन किया है। फोरम के पहले दौर की परिचर्चा 10 अप्रैल को आयोजित की गई। सभी संबंधित विभागों को विचार करने के लिए फोरम के सुझाव उपलब्ध कराए गए हैं। सुझावों पर निर्णय के लिए 31 अक्टूबर, 2018 की समयसीमा निर्धारित की गई है।

पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय ने अभी हाल ही में पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड के माध्यम से पूर्वोत्तर वेंचर कैपिटल फंड की स्थापना की है, जिसकी प्रारंभिक पूंजी 100 करोड़ रुपये है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने मार्च, 2018 में पूर्वोत्तर उद्योग विकास योजना (एनईआईडीएस), 2017 के गठन को मंजूरी दी थी। इसके लिए मार्च, 2020 तक 3000 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की जाएगी। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा आय और रोजगार में वृद्धि होगी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ‘उच्च मूल्य व कम मात्रा’ वाले उत्पादों पर जोर देने का आग्रह किया ताकि निर्यात में वृद्धि की जा सके। उन्होंने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। इससे प्रधानमंत्री के एक्ट ईस्ट नीति को भी बढ़ावा मिलेगा।

दो दिवसीय 67वें पूर्ण अधिवेशन में केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक और लोक प्रशिक्षण, लोक शिकायत व पेंशन, परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह तथा सभी पूर्वोत्तर राज्यों के व केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल व मुख्य मंत्री उपस्थित थे। डॉ. जितेन्द्र सिंह एनईसी के उपाध्यक्ष भी हैं।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More