नई दिल्ली: परिवार में घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को तत्काल सुरक्षा और राहत प्रदान करने के लिए केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने गुरुवार को सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए), 2005’ के प्रावधानों का प्रभावकारी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।
श्रीमती मेनका संजय गांधी ने विशेषकर राज्यों से आग्रह किया है कि पर्याप्त संख्या में अधिनियम के स्वतंत्र प्रभार के साथ संरक्षण अधिकारियों (पीओ) की नियुक्ति की जानी चाहिए और इसके साथ ही उनके विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाने चाहिए, ताकि कोई भी पीडि़त महिला उनसे संपर्क कर सके। उन्होंने कहा, ‘यह जानकारी मेरे संज्ञान में आई है कि ज्यादातर राज्यों में अन्य विभागों के अधिकारियों को ही यह जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंप दी गई है। किसी भी महिला के अपने घर से बाहर आकर शिकायत दर्ज कराने में आने वाली व्यावहारिक दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम और भी अधिक संख्या में संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति करें।’
मंत्री महोदया ने कहा कि संरक्षण अधिकारियों को सुचारू रूप से काम करने के लिए पृथक बजट का आवंटन किया जाना चाहिए ताकि पीड़ितों को सहयोग प्रदान किया जा सके, कर्मियों की क्षमता में वृद्धि की जा सके तथा जागरूकता फैलाई जा सके।
श्रीमती गांधी ने कहा कि महिलाओं की सहूलियत के लिए अधिनियम के फॉर्म संख्या-IV का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए। फॉर्म संख्या-IV में महिलाओँ के अधिकारों का वर्णन किया गया है।
श्रीमती गांधी ने कहा, ’प्रत्येक महिला को हिंसामुक्त जीवन जीने का अधिकार है। मैं व्यक्तिगत तौर पर आपसे आग्रह करती हूं कि आप महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिए ठोस कार्रवाई प्रारंभ करें और अधिनियम के प्रभावकारी कार्यान्वयन के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करें।’