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महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सभी पंजीकृत बाल देखभाल संस्थाओं (सीसीआई) को एक महीने के अंदर विशिष्ट शिशु दत्तक ग्रहण एजेंसियों से जोड़ने का आग्रह किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से यह तथ्य सामने आया है कि कुछ संगठन किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के प्रावधानों को नजरअंदाज करते हुए अवैध रूप से शिशु दत्तक-ग्रहण का प्रचार कर रहे हैं, जिसे बाल तस्करी समझा जाना चाहिए। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सभी पंजीकृत बाल देखभाल संस्थाओं (सीसीआई) को एक महीने के अंदर विशिष्ट शिशु दत्तक ग्रहण एजेंसियों से जोड़ने का आग्रह किया है। यह जानकारी एक महीने के अंदर सीएआरआईएनजीएस पोर्टल पर भी उपलब्ध होनी चाहिए।

राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि वे इस संबंध में स्थानीय अखबारों में विज्ञापन दें ताकि तय समय सीमा में संस्थानों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित हो सके। अनुपालन नहीं करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों को कहा गया है कि मिशनरी ऑफ चेरेटी द्वारा संचालित सभी गृहों के निरीक्षण के लिए निर्देश जारी करें तथा ऐसे सभी संस्थानों/संगठनों की पहचान करें जो गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। अधिनियम की धारा 54 के अनुसार संस्थानों का निरीक्षण समयानुसार संचालित किया जाना चाहिए।

इसके अलावा गैर-कानूनी रूप से गोद लेना रोकने के लिए राज्य सरकारों/केन्द्रशासित प्रदेशों को प्रसूति अस्पतालों और ऐसी अन्य सुविधा केन्द्रों पर गहरी निगाह रखने को कहा गया है, जो गैर-कानूनी तरीके से गोल लेने और बाल तस्करी के संभावित जगह हो सकते हैं। राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को मामले पर एक स्थिति रिपोर्ट 31.07.2018 तक पेश करने को कहा गया है।

एक पृष्ठभूमि नोट :

        किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 41 के अनुसार अनिवार्य है कि सभी संस्थानों चाहे वे राज्य सरकारों द्वारा या स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे हों और जो पूरी तरह या आंशिक तौर पर जरूरतमंद बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिए आवास मुहैया कराते हों, को कानून के तहत पंजीकृत होना चाहिए। अधिनियम की धारा 65 राज्य सरकारों को हर जिले में एक या अधिक संस्थानों या संगठनों को अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्मसमर्पित बच्चों का गोद लेने और गैर-संस्थागत देखभाल के जरिए पुनर्वास के लिए एक विशेष गोद लेने वाली ऐजेंसी (एसएए) के रुप में मान्यता देना अनिवार्य है।

किशोर न्याय अधिनियम,  2015 केन्द्रीय गोद लेन संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) को एक देश से दूसरे देश में गोद लेने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में मान्यता देता है। ये सुविधा ऑनलाइन पोर्टल (सीएआरआईएनजीएस) के माध्यम से दी जा रही है।

16.03.2018 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट किए गए देश में 7,800 सीसीआई के पंजीकरण की राज्यवार स्थिति निम्नलिखित है। इसके लिए यहां क्लिक करें

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