नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने आज पटना, बिहार में कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान का उद्घाटन और इस संस्थान के प्रशासनिक भवन का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि इस संस्थान की शुरूआत से बिहार में कृषि विकास को गति मिलेगी। यह केन्द्र बिहार नहीं बल्कि झारखंड के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों का संचालन करेगा और कृषि जगत में हो रहे नये शोध निष्कर्षों को किसानों के खेतों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। यह केन्द्र किसानों को एक ही छत के नीचे उनकी कृषि सम्बन्धी सम्बन्धी समस्याओं का समाधान भी उपलब्ध करायेगा।
कृषि मंत्री का पूरा भाषण इस प्रकार है-
‘’यह बड़े गर्व की बात है कि भारतीय कृषि अनुसंधान की शुरूआत 1905 में पूसा, समस्तीपुर में हुई। समय के साथ-साथ, तब से आज तक कृषि में अमूल-चूल परिवर्तन हुआ है। कृषि अनुसंधान के तौर-तरीकों में भी काफी सुधार हुआ है। समय के साथ आई चुनौतियों में भी हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने डट कर मुकाबला किया है। यही कारण है कि हम खाद्यान्न सुरक्षा में आत्मनिर्भर हो पाए हैं। जहां तक बात नित्य नये अनुसंधान की है वो तो अनवरत एवं आबाध रूप से जारी है। हम कृषि अनुसंधान में कहीं से भी किसी भी देश से पीछे नहीं हैं। यह एक सुखद पहलू है कि इसका श्रेय हमारे कृषि वैज्ञानिकों को जाता है। हां प्रचार-प्रसार में अब हमने सही रूप से ध्यान देना शुरू किया है। अभी 69वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से माननीय प्रधानमंत्री ने कृषि मंत्रालय का नाम कृषि एवं कृषक मंत्रालय कर दिया हैा अब हमें कृषि अनुसंधान को खेतों तक और भी जोर-शोर से ले जाना होगा जो कि आज की परिस्थितियों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। विशेषकर तब, जब जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हमारे जन-जीवन ही नहीं अपितु कृषि व पशुपालन पर भी पड़ रहा है।
कृषि तकनीकी की प्रसार पर हमारी सरकार की प्रतिबद्धता इस बात से भी स्पष्ट हो जाती है कि अभी हाल ही में 25-26 जुलाई को आई.सी.ए.आर. के स्थापना दिवस एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन में की गई घोषणा का अमल करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक एवं विषय वस्तु विशेषज्ञ का पदनाम क्रमश- वरीय वैज्ञानिक सह-प्रधान एवं वैज्ञानिक कर दिया गया है। वर्तमान में पूरे देश में 642 कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। इस सभी के सुचारू रूप से संचालन हेतु एक उपमहानिदेशक (प्रसार) मुख्यालय में पद स्थापित है। इनको सहायता हेतु मुख्यालय पर सहायक महानिदेशक और वैज्ञानिकों की एक टीम काम करती है। पूरे देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु अभी तक कुल 08 क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय हैं, जिसकी संख्या अब 11 की गई है, इसमें एक पटना में है।
क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय का नाम बदलकर कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान कर दिया गया है। यह बड़े ही हर्ष की बात है कि पटना में इसके 9वें कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान (क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय) का शुभारम्भ आज हो रहा है। जिससे प्रदेश में कृषि के विकास को गति मिलेगी।
एक अनुमान के मुताबिक हमारे देश में कृषि तकनीकी में बहुत सारे महत्वपूर्ण अनुसंधान हो चुके हैं लेकिन विकसित तकनीकों का समुचित प्रचार-प्रसार नहीं हो सका है। अत: हमें प्रचार-प्रसार पर ध्यान देना होगा और हमारी सरकार इस ओर पूरे मनोयोग से ध्यान दे रही है। यही कारण है कि हम कृषि की विकास दर 4.0 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं।
आज का दिन बड़ा ही ऐतिहासिक है जो बिहार के कृषि तकनीकी विकास में मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि इस नवीनतम संस्थान ‘’कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान’’ (ATARI) का उद्घाटन हो रहा है। इस संस्थान के अंतर्गत बिहार एवं झारखंड के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों का संचालन होगा। भारतीय कृषि में शोध निष्कर्षों को किसानों तक पहुंचाने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र एक शोध विस्तार सस्थान की तरह काम करेंगे जिसे मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है, साथ ही इन केन्द्रों में कुल वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों की संख्या 16 से बढ़ाकर 22 कर दी गई है। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों को मजबूती प्रदान करते हुए दो अतिरिक्त मोटरसाइकिल, एवं पुराने वाहनों को बदलकर नये वाहन की व्यवस्था की गई है। साथ ही साथ मिट्टी जांच प्रयोगशाला, मिनी बीज प्रसंस्करयण इकाई, समेकित कृषि प्रणाली की प्रदर्शन इकाई, निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सोलर पैनल, जनरेटर इत्यादि की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस सुदृढ़ीकरण से पूरे बिहार में कृषि तकनीकी अनुप्रयोगों से सम्बन्धित जानकारी किसान भाइयों को प्राप्त होगी। ज्ञातव्य हो कि हमारे प्रदेश बिहार में कुल 38 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं। यह सौभाग्य की बात है कि हमारा प्रदेश कृषि विज्ञान केन्द्र के मामले में 100 प्रतिशत आच्छादित है, जो जिले अपेक्षाकृत बड़े हैं उनमें दो कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। जिस पर हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं और यह अपने अन्तिम चरण में हैं। ये जिले हैं पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, गया और मधुबनी।
कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान, पटना से यहां के कृषक भाइयों को एक ही छत के नीचे अपनी सभी समस्याओं का समाधान मिलेगा। यह प्रदेश पुन: कृषि का गौरव होगा। द्वितीय हरित क्रांति को गति प्रदान करने में इस इस नये संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। तभी जाकर बिहार कृषि के मामले में देश का प्रथम प्रदेश बनेगा। यह तब प्रदेश अन्य विकसित प्रदेशों की श्रेणी में सुमार हो जायेगा। कृषि में जो स्थान बिहार को पूर्व में प्राप्त था उसे हम पुन: स्थापित करके ही रहेंगे।
यह संस्थान बदलते मौसम के कृषि पर पड़ने वाले दुष्परिणामों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा ऐसा मेरा विश्वास है। मैं यहां पर उपस्थित सभी महानुभावों से इस मंच के माध्यम से आह्वान करना चाहूंगा कि बदलती परिस्थितियों, बदले हुए हालात में हमारे मंत्रालय का नाम भी परिवर्तित कर दिया गया है। हम हमें इसी पर तत्परता से काम करता है ताकि किसानों के चेहरे पर मुस्कान वापिस लाई जा सके।
हमारी सरकार में माननीय प्रधानमंत्री जी के विशेष अभिरूचि के कारण द्वितीय हरित क्रांति को बल देने के लिए राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। आई.ए.आर.आई. के एक संस्थान की स्थापना अभी हाल में की गई है। जिसमें प्रमुख रूप से सिंचाई जल को हर खेत तक पहुंचाने हेतु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, खेतों की उर्वरा को अक्षुण्ण बनाये रखने हेतु मृदा हेल्थ कार्ड, परम्परागत कृषि को बढ़ावा देने हेतु परम्परागत कृषि विकास योजना, जैविक खेती के लिए, किसानों को उनके उत्पाद के उचित मूल्य दिलाने हेतु राष्ट्रीय कृषि मण्डी की स्थापना, मूल्य में आ रहे उतार-चढ़ाव को रोकने हेतु मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना 500 करोड़ रुपये से की गई है। दूध की नदियां दुबारा बहाने हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिशन हेतु भी 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसी क्रम में एक और संस्थान मोतिहारी में, राष्ट्रीय समेकित कृषि प्रणाली अनुसंधान केन्द्र का उद्घाटन होगा। खेती के चहुंमुखी विकास हेतु लैब टू लैण्ड कार्यक्रम में तेजी लाने हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तीन नई परियोजनाओं का शुभारम्भ माननीय प्रधानमंत्री जी ने कर दिया है। ये हैं फार्मर्स फर्स्ट, आर्या तथा मेरा गांव मेरा परिचय। ज्ञातव्य हो कि कृषि में भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए ICAR ने अपना VISION-2050 भी बनाया है और उस पर कार्यरत है।